लखनऊ

Sanjeev Jeeva Murder: ब्रह्मदत्त को CM देखना चाहती थीं मायावती, जीवा ने कर दी थी हत्या, BJP नेता का अहसान क्यों मानती रहीं बहन जी?

Sanjeev Jeeva Murder: लखनऊ की सिविल अदालत में कुख्यात गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या ने यूपी की राजनीति के करीब तीन दशक पुराने अध्याय की यादें फिर ताजा कर दी हैं।

लखनऊJun 09, 2023 / 08:40 pm

Vishnu Bajpai

Sanjeev Jeeva Murder: लखनऊ की सिविल कोर्ट में कुख्यात गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या ने यूपी की राजनीति के तीन दशक पुराने अध्याय की यादें ताजा कर दी हैं। संजीव जीवा भाजपा के दो विधायकों कृष्णानंद राय और ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या का आरोपी था। राय की हत्या के केस से तो वह बरी हो गया था, लेकिन ब्रह्मदत्त द्विवेदी के मर्डर में वह उम्रकैद की सजा काट रहा था। ब्रह्मदत्त द्विवेदी का कत्ल 10 फरवरी, 1997 को हुआ था और उस दौर में मुख्तार अंसारी का खास गुर्गा संजीव जीवा इसमें शामिल था।
ब्रह्मदत्त द्विवेदी कवि हृदय थे और भाजपा के उस दौर के यूपी के टॉप नेताओं में से एक थे। अटल बिहारी वाजपेयी, आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के वह बेहद करीबी थे। फिर जब 1995 में उन्होंने गेस्ट हाउस कांड के दौरान मायावती को बचाया तो वह और ज्यादा चर्चित हो गए।
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मायावती उनका हमेशा अहसान मानती थीं। यहां तक कि जब भाजपा संग गठजोड़ में ढाई-ढाई साल के सीएम की बात आई तो मायावती चाहती थीं कि भाजपा को जब मौका मिले तो ब्रह्मदत्त द्विवेदी ही मुख्यमंत्री बनें। हालांकि बाजी कल्याण सिंह के हाथ लगी।
1977 में पहली बार ब्रह्मदत्त जीते थे चुनाव
स्कूल लाइफ से ही आरएसएस के कार्यकर्ता रहे ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने 1977 में पहला विधानसभा चुनाव जीता था। फिर वह तीन बार विधायक बने और 1991-92 के दौरान कल्याण सिंह सरकार में मंत्री भी बनाए गए। फिर भाजपा की सरकार बाबरी कांड में बर्खास्त हो गई। इसके बाद 1993 में हुए चुनाव में ‘मिले मुलायम कांशीराम’ के नारे के साथ सपा और बसपा ने चुनाव लड़ा और गठबंधन सरकार बनाई। दो साल सरकार चलाने के बाद मायावती ने 1995 में समर्थन वापस ले लिया था। इससे सपा के लोग भड़क गए। मायावती लखनऊ के गेस्ट हाउस में बसपा नेताओं के साथ मीटिंग कर रही थीं।
जब मायावती के बचाव में अड़ गए द्विवेदी और भाजपा नेता
तभी गेस्ट हाउस के बाहर सपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जुट गई। मायावती समेत बसपा के नेताओं पर हमले की तैयारी थी। सैकड़ों की संख्या में लोग जुटे थे और बसपा नेता घिर चुके थे। इस बीच बगल की इमारत में ही ठहरे ब्रह्मदत्त द्विवेदी को भनक लगी तो वह मौके पर पहुंचे। उन्होंने सीधे अटल बिहारी वाजपेयी से बात की।
कहा जाता है कि वाजपेयी जी ने द्विवेदी से कहा कि वह मायावती और उनके नेताओं का बचाव करें। फिर कई अन्य विधायकों के साथ मायावती को एस्कॉर्ट करते हुए ब्रह्मदत्त द्विवेदी एवं कुछ अन्य नेता गवर्नर हाउस ले गए। नई सरकार का दावा पेश हुआ और भाजपा के समर्थन से मायावती ने अगली सुबह ही सीएम पद की शपथ ली।
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क्यों मायावती के मन में ब्रह्मदत्त के लिए पैदा हुआ सम्मान
उस दौर के नेता बताते हैं कि इस घटना के बाद मायावती के मन में ब्रह्मदत्त द्विवेदी के प्रति गहरा सम्मान था और वह उनका अहसान मानती थीं। यहां तक कि जब भाजपा से गठबंधन सरकार की बारी आई और आधे-आधे टर्म की बात चली तो मायावती चाहती थीं कि भाजपा के मुख्यमंत्री के तौर पर ब्रह्मदत्त द्विवेदी को ही चुना जाए।
हालांकि भाजपा में कल्याण सिंह को लेकर ही सहमति बनी। हालांकि ज्यादा दिन नहीं बीते और फरवरी 1997 में एक तिलक समारोह से निकल रहे ब्रह्मदत्त द्विवेदी की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई। इस कांड में उनके गनर बीके तिवारी भी मारे गए थे।

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