Mayawati on Mallikarjun Kharge: मल्लिकार्जुन खरगे के दावे पर भड़कीं मायावती, लगाया झूठ बोलने का आरोप
Mayawati on Mallikarjun Kharge: एससी-एसटी आरक्षण के विवाद में अब बसपा ने कांग्रेस को घेरा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को लेकर दिए गए बयानों पर मायावती ने हमला बोला है।
Mayawati on Mallikarjun Kharge: यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर कांग्रेस पर हमला बोला है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा आरक्षण को लेकर किए गए दावों पर सवाल उठाए हैं। मायावती ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, “बीएसपी की प्रेस कान्फ्रेंस के बाद कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के दिए बयान की जानकारी मिली, जिससे एससी और एसटी के समक्ष कांग्रेस पार्टी के बयान में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को नहीं बल्कि पंडित नेहरू और गांधी को आरक्षण का श्रेय दिया गया है, जिसमें रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है।”
उन्होंने कहा, “वास्तव में आरक्षण का पूरा श्रेय बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को ही जाता है, जिनको किसी तरह से कांग्रेस के लोगों ने संविधान सभा में जाने से रोकने का षड्यंत्र रचा और उनको चुनाव में भी हराने का काम किया। कानूनी मंत्री पद से भी इस्तीफा देने को विवश किया।”
‘कांग्रेस द्वारा क्रीमी लेयर के बारे में भी गोलमोल बातें की गई है’
मायावती ने कांग्रेस अध्यक्ष से सवाल पूछते हुए कहा, “कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने यह कहा कि देश में एससी और एसटी वर्गों के उप वर्गीकरण के संबंध में पार्टी के स्टैंड का खुलासा करने के पहले इनकी पार्टी एनजीओ और वकीलों आदि से विचार-विमर्श करेगी, जिससे स्पष्ट है कि कांग्रेस उपवर्गीकरण के पक्ष में है। कांग्रेस द्वारा क्रीमी लेयर के बारे में भी गोलमोल बातें की गई है। कांग्रेस के 99 सांसद होने के बाद भी सत्रावसान होने तक संसद में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को निष्प्रभावी बनाने के लिए कोई भी आवाज नहीं उठाई गई, जबकि इस पार्टी ने संविधान और आरक्षण को बचाने के नाम पर ये सीटें जीती हैं।”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरक्षण के मुद्दे को लेकर भाजपा पर बड़ा आरोप लगाया था। उन्होंने कहा, “ भाजपा का आरक्षण खत्म करने का इरादा है। उन्हें क्रीमी लेयर का फैसला संसद में निरस्त करना चाहिए था। भारत में SC के लोगों को सबसे पहले आरक्षण बाबासाहेब डॉ अंबेडकर के पूना पैक्ट के माध्यम से मिला। बाद में, पंडित नेहरू और महात्मा गांधी जी के योगदान से इसे संविधान में मान्यता देकर, नौकरी और शैक्षणिक संस्था में भी लागू किया गया था।
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