अनिल के अंकुर
लखनऊ । बसपा सुप्रीमो मायावती आज प्रेस कांफ्रेंस में काफी गुस्से में थीं। गुस्से की वजह मोदी का दलित प्रेम झलक रहा था। 45 मिनट की अपनी प्रेस कांफ्रेंस में मायावती 80 फीसदी भाजपा और मोदी पर बोलीं। थोडी थोडी देर में मायावती का यह आता था कि मोदी सरकार दलितों को लुभाने के लिए क्या क्या नहीं कर रही है। सो वह रह रह कर मोदी पर जमकर बरसीं और फिर बोली, दलित छात्र की आत्म हत्या पर मोदी ने जो आंसू बहाए वे घडियाली आंसू थे। मोदी और उनकी सरकार दलित विरोधी है और मोदी का आंसू बहाना दलित प्रेम नहीं, एक नाटक था।
दलितों पर क्यों आया सबको प्रेम
सही मायने में देखें तो मिशन 2017 से पहले सियासी दलों में दलित पे्रम जाग गया है। भारतीय जनता पार्टी और केन्द्र सरकार भी दलितों को प्रलोभित करने के लिए अलग अलग योजनाएं ला रही है। यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेष यादव बुंदेलखंड के दलितों के हाल पूछने जा रहे हैं। राहुल गांधी ने दलित गांवों में मार्च निकालना ष्षुरू कर दिया है और दलितों के घर वे खाना खाने लगे हैं। इस पर मायावती आज बोलीं, युवराज को मार्च निकालने और दलित के घर खाना खाने का नाटक अब ज्यादा दिन चलने वाला नहीं। दलित जानते हैं कि कौन किसका सगा है।
दलित बाहुल्य जिलों में यूपी सबसे आगे
दरअसल, यह सब क्यों हो रहा है। यूपी में दलितों की आबादी करीब 17 प्रतिषत दलित वोट हंै। इनमें पूरा बंुदेलखंड, आगरा, अलीगढ, चित्रकूट, बस्ती, फतेहपुर, गाजीपुर, चंदोली, जौनपुर जालोन, हरदोई हमीरपुर और बाराबंकी समेत तीन दर्जन ऐसे जिले हैं जहां दलितों की आबादी 21 प्रतिषत से लेकर 29 प्रतिषत तक है। बीते दो दषकों से यूपी में इन वोटों पर मायावती का एक छत्र राज चलता चला आ रहा था। पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी का जादू हर जाति पर सिर चढकर बोला था, वह फिर से उसका भय यूपी के सियासी दलों को लगने लगा है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित बसपा दिख रही है। यही कारण है कि मायावती इस मुद्दे पर मुखर हो गई हैं।
मोदी ने हाल में ये किया दलितों के लिए
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले दिनों लखनऊ में अम्बेडकर महासभा से लेकर अम्बेडकर विश्व विद्यालय तक के कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। उनके लखनऊ में हो रहे कार्यक्रमो से दलित राजनीति अचानक गरमा गई है। नरेन्द्र मोदी का कायज्क्रम लखनऊ में एक विश्व विद्यालय में दीक्षांत समारोह में शामिल हुए और दलित अत्याचार के मामले पर रो पडे। उनकी इस अदा ने बसपा नेताओं को झझकोर कर रख दिया है, लेकिन इसके पीछे की दलित मोह की सियासत साफ दिख रही है। मोदी सरकार ने अम्बेडकर और दलितों के लिए कई योजनाएं षूरू करने का ऐलान किया है। लखनउ में अम्बेडकर की अस्थि कलष पर उन्होंने फूल भी चढाए।
मायावती को कहीं न कहीं यह भय सताने लगा है कि कहीं उनके पारम्परिक मतों पर सेंध न लग जाए। यही कारण है कि मायावती ने आज अपनी प्रेस कांफ्रेंस में मोदी और मोदी सरकार की जमकर आलोचना की। उनका केन्द्र बिन्दु मोदी और उनका दलित प्रेम ही रहा। अपनी प्रेस कांफं्रेस में मायावती ने मोदी और भाजपा व आरएसएस पर भी जककर निषाना साधा और बताया कि अगर उनकी सरकार आई तो वे किस तरह दलितों के हितों में काम करेंगी।
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