लखनऊ। भाई बहन के इस त्यौहार पर हर बहन अपने भाई के हाथ पर राखी बाँध रक्षा का वचन लेती है। लेकिन रक्षाबंधन के इस त्यौहार पर जब राजनैतिक तड़का लग जाए तो इसके मायने ही बदल जाते हैं। ऐसा ही हुआ था आज से लगभग देढ़ दशक पहले।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने 22 अगस्त 2002 को भाजपा नेता लालजी टंडन का अपना भाई बनाया और उन्हें चांदी की राखी बांधी। भाई बहन के इस नए रिश्ते के बाद उम्मीद लगाई जा रही थी कि बसपा और भाजपा के रिश्ते ठीक भाई बहन के रिश्ते की तरह ही मजबूत और मधुर होंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
बांदी थी चांदी की राखी
बेशक मायावती ने लालजी टंडन की कलाई पर चांदी की राखी बांधी हो लेकिन इस रिश्ते को आगे भुनाने में असफल रहीं। अगले ही वर्ष उनके भाई लालजी टंडन रक्षाबंधन पर उनकी राह देखते रहे लेकिन बहन जी नहीं आयीं। बहन का दिल एक ही वर्ष में अपने बुजुर्ग भाई से ऊब गया और उसने भाई से किनारा कर लिया।
राजनैतिक जानकार मानते हैं कि उस दौरान यह रिश्ता इसलिए बना था ताकि मायावती के खिलाफ भाजपा कोई ठोस कदम न उठाए साथ ही चुनावों में भी पूरी मदद मिले। अतः राजनैतिक उद्देश्य को साधने के लिए बनाया गया रिश्ता कुछ ही समय में टूट गया। हालाँकि प्रदेश से लेकर दिल्ली तक मायावती को लोग बहनजी के नाम से पुकारते हैं लेकिन लालजी टंडन शायद अब उन्हें बहन नहीं कहना चाहते। इनके अलावा ब्रह्मदत द्विवेदी को भी मायावती सामाजिक तौर पर भाई कह चुकी हैं जिनसे उन्होंने काफी हद तक रिश्ता निभाया भी है।
Hindi News / Lucknow / एक कहानी भाई-बहन के राजनैतिक रिश्ते की, कभी बांधी थी चांदी की राखी !