यह है मातृत्व लाभ मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 के अनुसार गर्भवती महिला 26 सप्ताह यानि साढ़े छह महीने तक मातृत्व अवकाश की पात्र होती हैं। यह प्रसव की अनुमानित तिथि से आठ सप्ताह पहले से शुरू हो सकती है। लेकिन इस अवकाश के साथ यह शर्त जुड़ी है कि कोई भी महिला अपनी पहली दो गर्भावस्थाओं के लिए यह अवकाश ले सकती है। तीसरा बच्चा होने पर 12 सप्ताह के लिए मैटरनिटी लीव देने का प्रावधान मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 में शामिल है।
यह भी पढ़ें
सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में लगेगी ट्रिपल डोज वाली जायडस वैक्सीन, पहले फेज में 14 जिलों को उपलब्ध
मैटरनिटी लीव का शासनादेश जारी विश्वविद्यालयों में अभी तक मैटरनिटी लीव केवल शिक्षिकाओं को ही मिलती थी। अब स्नातक (यूजी) और परास्नातक (पीजी) कोर्स करने वाली छात्राओं को भी यह अवकाश मिल सकेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी विश्वविद्यालय के कुलपतियों से यूजी और पीजी कर रही महिला छात्रों को मातृत्व अवकाश और हाजिरी में राहत देने के लिए उचित नियम और मानदंड तैयार करने का निर्देश दिया है। यूजीसी ने अपने 2016 के रेगुलेशन में नया प्रावधान जोड़ा है। इस नियम को यूपी में भी लागू कर दिया गया है। पहले एमफिल और पीएचडी में थी सुविधा यूजीसी पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नियमन 2016 के मुताबिक, यह लाभ केवल उन स्टूडेंट्स को मिलता था जो एमफिल या पीएचडी कोर्स कर रहे हैं। एमफिल और पीएचडी के पूरे कोर्स के दौरान किसी महिला स्टूडेंट को एक बार मैटरनिटी लीव/चाइल्ड केयर लीव (बच्चे की देखभाल के लिए अवकाश) दी जा सकती थी। अवकाश की यह 240 दिन यानी 8 महीने की छुट्टी हो सकती थी। अब यूजीसी के नए फैसले के अनुसार, यह सुविधा अंडर ग्रैजुएशन और पोस्ट ग्रैजुएशन करने वाली वह छात्राएं जो कि गर्भवती हैं, उन्हें भी मिलेगा। मातृत्व अवकाश में छात्राओं को हाजिरी, परीक्षा सहित सभी शैक्षणिक कार्यो से छूट रहेगी।
यह भी पढ़ें