विनोद सरोज (विधायक)
प्रतापगढ़ के बाबागंज से निर्दलीय विधायक विनोद सरोज का राजा भैया के साथ जाना पूरी तरह से लगभग तय माना जा है। राजा भैया के दम पर ही सरोज 1996 से अब तक लगातार विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं। 1996 और 2002 में वह बिहार विधासभा सीट से विधायक चुने गये, वहीं वर्ष 2007, 2012 और 2017 में वह बाबागंज सीट से विधानसभा चुनाव जीते। इस दौरान राजा भैया ने उनके खिलाफ चुनाव में कभी भी अपना प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं उतारा। शनिवार को राजधानी लखनऊ में राजा भैया की अनुपस्थिति में विनोद सरोज ने ही उनकी प्रेसवार्ता का जिम्मा संभाला। ऐसे में विधायक विनोद सरोज का अपने समर्थकों संग राजा भैया के साथ आना पूरी तरह तय माना जा रहा है।
प्रतापगढ़ के बाबागंज से निर्दलीय विधायक विनोद सरोज का राजा भैया के साथ जाना पूरी तरह से लगभग तय माना जा है। राजा भैया के दम पर ही सरोज 1996 से अब तक लगातार विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं। 1996 और 2002 में वह बिहार विधासभा सीट से विधायक चुने गये, वहीं वर्ष 2007, 2012 और 2017 में वह बाबागंज सीट से विधानसभा चुनाव जीते। इस दौरान राजा भैया ने उनके खिलाफ चुनाव में कभी भी अपना प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं उतारा। शनिवार को राजधानी लखनऊ में राजा भैया की अनुपस्थिति में विनोद सरोज ने ही उनकी प्रेसवार्ता का जिम्मा संभाला। ऐसे में विधायक विनोद सरोज का अपने समर्थकों संग राजा भैया के साथ आना पूरी तरह तय माना जा रहा है।
अक्षय प्रताप सिंह (एमएलसी)
मौजूदा विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) व प्रतापगढ़ से सांसद रहे अक्षय प्रताप सिंह उर्फ ‘गोपाल’ का भी राजा भैया के साथ जाना लगभग तय है। अक्षय प्रताप सिंह को राजा भैया का सबसे करीबी माना जाता है, क्योंकि उनकी जीत में राजा भैया का खासा योगदान रहा था। अक्षय प्रताप राजभैया की नई पार्टी संग जुड़ेंगे या नहीं, भविष्य के गर्त में है, क्योंकि अगर उन्होंने नई पार्टी की सदस्यता ली तो उनकी पार्टी सदस्यता खतरे में पड़ जाएगी।
मौजूदा विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) व प्रतापगढ़ से सांसद रहे अक्षय प्रताप सिंह उर्फ ‘गोपाल’ का भी राजा भैया के साथ जाना लगभग तय है। अक्षय प्रताप सिंह को राजा भैया का सबसे करीबी माना जाता है, क्योंकि उनकी जीत में राजा भैया का खासा योगदान रहा था। अक्षय प्रताप राजभैया की नई पार्टी संग जुड़ेंगे या नहीं, भविष्य के गर्त में है, क्योंकि अगर उन्होंने नई पार्टी की सदस्यता ली तो उनकी पार्टी सदस्यता खतरे में पड़ जाएगी।
शैलेंद्र कुमार (पूर्व सासंद)
कौशांबी से समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद शैलेंद्र कुमार भी राजा भैया की नई पार्टी से जुड़ सकते हैं। परिसीमन के बाद राजा भैया के वर्चस्व वाला प्रतापगढ़ का एक बड़ा इलाका कौशांबी लोकसभा क्षेत्र में आता है। 2009 के लोकसभा चुनाव में शैलेंद्र कुमार की जीत की वजह राजा भैया का समर्थन भी माना जा रहा था। राजनीतिक गलियारों अटकलों का बाजार गर्म है कि शैलेंद्र कुमार राजा भैया की नई पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
कौशांबी से समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद शैलेंद्र कुमार भी राजा भैया की नई पार्टी से जुड़ सकते हैं। परिसीमन के बाद राजा भैया के वर्चस्व वाला प्रतापगढ़ का एक बड़ा इलाका कौशांबी लोकसभा क्षेत्र में आता है। 2009 के लोकसभा चुनाव में शैलेंद्र कुमार की जीत की वजह राजा भैया का समर्थन भी माना जा रहा था। राजनीतिक गलियारों अटकलों का बाजार गर्म है कि शैलेंद्र कुमार राजा भैया की नई पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
अभय सिंह (पूर्व विधायक)
फैजाबाद के गोसाईंगंज से सपा के पूर्व विधायक अभय सिंह को भी राजा भैया का खासा करीबी नेता माना जाता है। हालांकि, उन्हें सपा प्रमुख अखिलेश यादव का बेहद करीबी माना जाता है, बावजूद इसके अभय सिंह के राजा भैया की नई पार्टी संग जुड़ने की अटकलें तेज हैं। माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सपा छोड़ राजा भैया की नई पार्टी का दामन थाम सकते हैं।
फैजाबाद के गोसाईंगंज से सपा के पूर्व विधायक अभय सिंह को भी राजा भैया का खासा करीबी नेता माना जाता है। हालांकि, उन्हें सपा प्रमुख अखिलेश यादव का बेहद करीबी माना जाता है, बावजूद इसके अभय सिंह के राजा भैया की नई पार्टी संग जुड़ने की अटकलें तेज हैं। माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सपा छोड़ राजा भैया की नई पार्टी का दामन थाम सकते हैं।
और भी कई नेता संपर्क में
सूत्रों की मानें तो पूर्वांचल और मध्य यूपी के कई राजपूत नेता राजा भैया के संपर्क में हैं। माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कई अन्य दलों के राजपूत नेता राजा भैया की पार्टी का दामन थाम लेंगे। इनके अलावा बैरिया से बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह और एमएलसी यशवंत सिंह को राजा भैया का बेहद करीबी माना जाता है। यूपी में योगी सरकार बनने के बाद ही यशवंत सिंह ने समाजवादी पार्टी का दामन छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था। फिलहाल, इनके राजा भैया की पार्टी में शामिल होने की तस्वीर साफ नहीं है, बावजूद इसके सियासी अटकलों का दौर जारी है।
सूत्रों की मानें तो पूर्वांचल और मध्य यूपी के कई राजपूत नेता राजा भैया के संपर्क में हैं। माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कई अन्य दलों के राजपूत नेता राजा भैया की पार्टी का दामन थाम लेंगे। इनके अलावा बैरिया से बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह और एमएलसी यशवंत सिंह को राजा भैया का बेहद करीबी माना जाता है। यूपी में योगी सरकार बनने के बाद ही यशवंत सिंह ने समाजवादी पार्टी का दामन छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था। फिलहाल, इनके राजा भैया की पार्टी में शामिल होने की तस्वीर साफ नहीं है, बावजूद इसके सियासी अटकलों का दौर जारी है।
सेलिब्रेशन के लिये समिति का गठन
शनिवार को राजा भैया के करीबी विधायक विनोद सरोज ने राजधानी के काल्टल होटल में प्रेसवार्ता कर 30 नवंबर के कार्यक्रम के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि 1993 से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले राजा भैया के राजनीति में 25 साल पूरे होने पर समर्थक रजत जयंती समारोह मनाएंगे। इसके लिए एक समिति का गठन किया गया है, जो 30 नवंबर को लखनऊ में होने वाली राजा भैया की रैली के कार्यक्रम देखेगी। राजधानी में आयोजित प्रेसवार्ता में विधायक विनोद सरोज ने कहा कि आज प्रदेश का नौजवान, बेरोजगार, किसान और सर्वसमाज राजा भैया की ओर बड़ी उम्मीदों से देख रहा है। सभी को उनके अगले कदम का इंतजार है।
शनिवार को राजा भैया के करीबी विधायक विनोद सरोज ने राजधानी के काल्टल होटल में प्रेसवार्ता कर 30 नवंबर के कार्यक्रम के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि 1993 से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले राजा भैया के राजनीति में 25 साल पूरे होने पर समर्थक रजत जयंती समारोह मनाएंगे। इसके लिए एक समिति का गठन किया गया है, जो 30 नवंबर को लखनऊ में होने वाली राजा भैया की रैली के कार्यक्रम देखेगी। राजधानी में आयोजित प्रेसवार्ता में विधायक विनोद सरोज ने कहा कि आज प्रदेश का नौजवान, बेरोजगार, किसान और सर्वसमाज राजा भैया की ओर बड़ी उम्मीदों से देख रहा है। सभी को उनके अगले कदम का इंतजार है।
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