लखनऊ

गठबंधन पर महेंद्र नाथ पाण्डेय ने ली चुटकी, गेस्ट हाउस कांड पर कही यह बात

भारतीय जनता पार्टी के यूपी अध्यक्ष महेंद्र नाथ पाण्डेय ने बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती पर आपत्तिजनक टिप्पणी की है

लखनऊJan 29, 2019 / 12:24 pm

Karishma Lalwani

गठबंधन पर महेंद्र नाथ पाण्डेय ने ली चुटकी, गेस्ट हाउस कांड पर कही यह बात

लखनऊ. भारतीय जनता पार्टी के यूपी अध्यक्ष महेंद्र नाथ पाण्डेय ने बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती पर आपत्तिजनक टिप्पणी की है। चेंदौली में जनसभा को संबोधित कर उन्होंने एक चुटकुले के माध्यम से गठबंधन पर चुटकी ली। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पाण्डेय ने गठबंधन के नाते मायावती पर अभद्र टिप्पणी की है। 2 जून 1995 को हुए बहुचर्चित गेस्ट हाउस कांड को लेकर महेंद्र नाथ पाण्डेय ने कहा कि सपा-बसपा गठबंधन अपराध की आग में झोकने वाले अवसरवादी दलों का गठबंधन है। यह एक दूसरे के गुनाह को ढकने और अस्तित्व बचाने के लिए किया गया है। सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे जोक को पढ़ कर उन्होने कहा कि गठबंधन के बाद अखिलेश ने मायावती को शॉल ओढाई और कान में फुसफुसाया कि यह वही शॉल है, जो पिताजी (मुलायम सिंह यादव) ने उतारी थी।
 

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मायावती का दौर खत्म

महेंद्र नाथ पाण्डेय यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी ने मायावती को देखने समझने के बाद रिजेक्ट किया था क्योंकि वे कुछ नहीं कर सकतीं। राजनीत् में उनका दौर खत्म हो चुका है। अब अखिलेश यादव गठबंधन कर ‘बबुआ’ बन रहे हैं।
बता दें कि इससे पहले मुगलसराय से बीजेपी विधायक साधना सिंह ने भी मायावती पर अभद्र टिप्पणी की थी। उन्होंने मायावती के लिए ‘न नर हैं न नारी हैं’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया था। हालांकि, विवाद बढ़ने पर उन्होंने लिखित में माफी भी मांगी थी।
क्या था गेस्ट हाउस कांड

उत्तर प्रदेश की सियासत में 2 जून 1995 में घटा गेस्ट हाउस कांड काले अध्याय के रूप में जाना जाता है। इस कांड ने सपा बसपा के बीच कड़वाहट पैदा कर दी थी। इस दिन राजधानी लखनऊ के मीराबाई रोड स्थित गेस्ट हाउस में जो भी हुआ था, वह देश की राजनीति में कलंक से कम नहीं है।
मायावती के जीवन पर आधारित ‘बहनजी’ किताब में इस काले दिन का वर्णन किया गया है।दरअसल, 1993 में हुए चुनाव में शायद ही कभी होने वाला गठबंधन हुआ था, सपा और बसपा के बीच। चुनाव में गठबंधन की जीत हुई और मुलायम प्रदेश के मुखिया बने। लेकिन, आपसी मनमुटाव के चलते 2 जून, 1995 को बसपा ने सरकार से किनारा कस लिया और समर्थन वापसी की घोषणा कर दी। इस वजह से मुलायम सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई।सरकार को बचाने के लिए कई प्रयास किए जाने लगे लेकिन जब बात नहीं बनी, तो गेस्ट हाउस कांड में सपा कार्यकर्ता और विधायकों ने मायावती पर हमला किया। वे यहां कमरा नंबर 1 में रुकी हुई थीं। सपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें कमरे में बंद कर उन्हें मारा और उनके कपड़े तक फाड़ दिए। इस घटना से मायावती को बाहर निकाला था बीजेपी विधायक ब्रम्हदत्त द्विवेदी ने। इनके ऊपर भी तब जानलेवा हमला हुआ था लेकिन वे मायावती को सकुशल बचा कर बाहर निकलने में कामयाब हो पाए।

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