अमृत कलश: भक्ति और संस्कृति का अनूठा संगम
इलाहाबाद संग्रहालय ने इस अमृत कलश की प्रतिकृति के लिए मेला प्रशासन से लगभग 12,000 वर्ग फीट भूमि की मांग की है। संग्रहालय के डिप्टी क्यूरेटर, डॉ. राजेश मिश्रा के अनुसार, इस पहल से श्रद्धालुओं को ऐसा अनुभव प्राप्त होगा जो न केवल उनकी भक्ति को बढ़ाएगा बल्कि एक स्मारिका के रूप में उनके साथ रहेगा। अमृत कलश से टपकती अमृत की बूंदों का दृश्य महाकुंभ के पौराणिक महत्व को समर्पित होगा।क्रांतिकारियों की वीरता का जीवंत प्रदर्शन
महाकुंभ के आयोजन में भारतीय संस्कृति और ऐतिहासिक गाथाओं को श्रद्धालुओं के समक्ष प्रदर्शित करना प्रमुख उद्देश्य है। इसी दिशा में, इलाहाबाद संग्रहालय ने दुनिया की पहली ऐसी वीथिका का निर्माण किया है, जहां 1857 की क्रांति से लेकर 1947 में स्वतंत्रता मिलने तक के सभी प्रमुख क्रांतिकारियों की गाथाओं का प्रदर्शन किया गया है। यह भी पढ़ें
TB उन्मूलन में उत्तर प्रदेश की बड़ी छलांग: Yogi Government ने टीबी नोटिफिकेशन में मारी बाजी, महाराष्ट्र और बिहार पीछे
यह वीथिका विशेष रूप से उन वीरों की गाथाओं को समर्पित है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। मंगल पांडे से लेकर चंद्रशेखर आजाद तक, गरम दल के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियां श्रद्धालुओं को देशभक्ति के नए जोश से भर देंगी। यह डिजिटल और आलेखों से निर्मित प्रदर्शनी दुनिया में अपनी तरह की पहली है और यह एक साथ इतने महान क्रांतिकारियों को सम्मान देने का अवसर प्रदान करती है।90 साल की क्रांति: इतिहास से साक्षात्कार
इस वीथिका में 90 वर्षों की क्रांति का सजीव चित्रण किया गया है। इस प्रदर्शनी के माध्यम से लोग स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न पहलुओं को करीब से जान सकेंगे। यहां प्रदर्शित की गई जानकारी से आगंतुकों को स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत उन गुमनाम नायकों की वीरता के बारे में पता चलेगा, जिनकी कहानियां आमतौर पर इतिहास के पन्नों में खो जाती हैं। यह भी पढ़ें