लखनऊ , इंसान जन्म के एक वर्ष बाद ,बोलना सीख जाता है लेकिन बोलना” क्या है यह सीखने मैं पूरा जन्म लग जाता है। आचार्य डॉ प्रदीप द्विवेदी ने बतायाकि ठीक ईश्वर की पूजा पाठ भी हम अपनी जरुरत के अनुसार करते हैं जब कष्ट तो प्रभु को याद करते हैं हैं अगर जरुरत नहीं हैं तो भूल जाते हैं। हम सभी को यही कहना चाहता हु कि अपने इष्ट देव को हमेशा याद करें। हम आप को दीपावली पर maa laxmi को खुश करने का बहुत ही आसान तरीका बता रहे हैं अगर दीपावली से पहले ही शुरू कर दे तो हम सभी लोग अपनी साधना से maa laxmi को खुश करके अपनी निर्धनता को दूर सकते हैं।
आचार्य डॉ प्रदीप द्विवेदी ने कहाकि धर्म की स्थापना,भक्तों के कल्याण के लिए मां ने कई रूप लिए है। महिषासुर का वध करने वाली माता ने कात्यायन ने ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया इस कारण वह माता कात्यायनी कहलाई। चंड मुंड का वध करने के लिए काजल के समान कालावड के रूप में प्रकट हुई और काली कहलाई। शुम्भ – निशुंभ का संहार करने के लिए महाकौश के रूप में हुई , जीवो के ज्ञान बुद्धि एवं वाणी देने के लिए मां वागेश्वरी हुई मां के जितने भी रूप हैं सभी के अपने-अपने गुण एवं उनकी महत्ता है। आप मां के जिस रुप की कृपा पाना चाहते हैं उसके लिए आपको मां की पसंद के अनुसार फूल अर्पित करके उनकी पूजा करें इससे माता की अनुकंपा बहुत जल्दी मिलती हैं।
माता लक्ष्मी को यह फूल बहुत ही पसंद हैं आचार्य डॉ प्रदीप द्विवेदी ने कहाकि maa laxmi का सबसे प्रिय फूल maa laxmi के सौभाग्य एवं संपदा की प्रतिमूर्ति हैं इनको लाल फूल पसंद है maa laxmi की कृपा पाने के लिए इन्हें कमल का फूल अथवा गुलाब का फूल अर्पित करें। भगवान विष्णु की अर्धांगिनी होने के कारण maa laxmi पीले रंग के फूल से भी खुश होती हैं। जल में उत्पन्न होने के कारण कमल का फूल माता को सबसे अधिक प्रिय है क्योंकि maa laxmi स्वयं जल सागर से प्रकट हुई है।
ऐसे करें माता की पूजा Diwali आने से पहले ही अपने मंदिर में maa laxmi की पूजा शुरू दे और उनको देशी घी का दीपक , गुलाब की खुशबू की धुप बत्ती और फूलो में लाल फूल गुलाब या कमल जो मिले और पीला भी मिले तो उसको भी अर्पित कर सकते हैं। उसके बाद माता के नाम का स्मरण करते हुए। माँ को उनकी पसंद का फूल रोज अर्पित करें और आप खुद देखेंगे की आप को होने वाली पैसो की परेशानी कैसे ख़त्म हो गई।