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लखनऊ

नदियों से निकलने वाले बालू का बेहतर विकल्प होगा ‘एम-सैंड’, जल्द ही घोषित होगी नीति

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर राज्य सरकार अतिशीघ्र एम-सैंड नीति लागू करने जा रही है, जिससे प्राकृतिक रेत, मोरम के एक नए विकल्प की उपलब्धता होगी।

लखनऊJun 28, 2024 / 08:45 pm

Anand Shukla

M Sand will be a better alternative to sand coming out of rivers
M- Sand: उत्तर प्रदेश में रेत और मोरम के स्थान पर ‘एम-सैंड’ (मैन्युफैक्चर्ड सैंड) को प्रोत्साहित करने पर बल दिया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर राज्य सरकार अतिशीघ्र एम-सैंड नीति लागू करने जा रही है, जिससे प्राकृतिक रेत, मोरम के एक नए विकल्प की उपलब्धता होगी।
शुक्रवार को खनन विभाग के साथ प्रस्तावित नीति पर विमर्श करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि हमारा प्रयास होना चाहिए कि पर्यावरण एवं नदियों के इकोसिस्टम को बिना नुकसान पहुंचाए सस्टनेबल विकास को गति दी जाए। इस दृष्टि से ‘एम-सैंड’ एक बेहतर माध्यम है।
नदी तल से प्राप्त होने वाली बालू की सीमित मात्रा और इसकी बढ़ती मांग के दृष्टिगत एम-सैंड को नदी तल से प्राप्त होने वाली बालू के विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे रोजगार के भी नए अवसर सृजित होंगे।

‘एम-सैंड’ के गुणवत्ता मानकों को बनाए रखना जरूरी: सीएम योगी

नई नीति पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि ‘एम-सैंड’ के गुणवत्ता मानकों को बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें जीवन और संपत्ति की सुरक्षा शामिल है। यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी ‘एम-सैंड’ निर्माता अपने उत्पाद के लिए बीआईएस प्रमाणीकरण अनिवार्य रूप से प्राप्त करेंगे। नोडल विभाग के रूप में खनन विभाग ‘एम-सैंड’ के शीघ्र उत्पादन हेतु राज्य, जिला स्तर पर अनुज्ञप्तिधारकों और हितधारकों से समन्वय स्थापित कराए। आम जनता को ‘एम-सैंड’ सुविधाजनक रूप से उपलब्ध हो सके तथा ‘एम-सैंड’ की कीमत प्राकृतिक मोरम, बालू के सापेक्ष कम हो, इसके लिए प्रयास किए जाने चाहिए। इससे जुड़ी इकाइयों में पर्यावरणीय मानकों का कड़ाई से अनुपालन कराया जाना चाहिए।

सीएम योगी ई-परिवह़न प्रपत्र को आसान बनाने का दिया निर्देश

उन्होंने कहा कि खनन पट्टा धारकों की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए मुख्यमंत्री ने ई-अभिवहन प्रपत्र (ईएमएम-11) जारी करने की व्यवस्था को और सरल बनाने के निर्देश दिए गए हैं। प्रपत्र जारी करने की प्रक्रिया जनपद स्तर से ही होनी चाहिए। इसके लिए एक समय सीमा तय होनी चाहिए। निदेशालय से इसकी मॉनीटरिंग की जाए। वर्तमान में खनिज परिवहन से जुड़े वाहनों की ओवरलोडिंग को सफलतापूर्वक रोकने के लिए मुख्यमंत्री ने जनपदों में टास्क फोर्स को और प्रभावी बनाने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि ओवरलोडिंग रोकने के लिए सबसे बेहतर है जीरो पॉइंट पर कार्रवाई की जाए। खनन स्थल पर जहां से बालू, मोरम, गिट्टी आदि उपखनिज वाहन में लोड किया जाता हो, कार्रवाई वहीं होनी चाहिए। जिला-पुलिस प्रशासन, परिवहन और खनन विभाग के स्थानीय अधिकारियों की सम्मिलित टीम एक टास्क फोर्स के रूप में प्रभावी कार्रवाई करे। उपखनिजों के परिवहन करने वाले वाहनों की रियल टाइम ट्रैकिंग के लिए व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम का उपयोग किया जाए।
उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि वाहन पर ई-अभिवहन प्रपत्र तब ही निर्गत हो, जब वह वाहन खनन क्षेत्र के जियो फेंस एरिया में प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित हो। बरसात के मौसम में बालू, मोरम की कीमतों को नियंत्रित रखने पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने इनके भंडारण व्यवस्था की भी समीक्षा की। मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि वर्ष 2023-24 में जहां 533 भंडारण स्थल थे, इस सत्र में 645 भंडारण स्थल हैं।

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