फिल्म ‘राम सेतु’ : अयोध्या में लगा सितारों का मेला, पुलिस के पहरे में जैकलीन, नुसरत, अक्षय कुमार यूपी में दो एम्स शुरू :- योगी सरकार के इन चार साल के कार्यकाल में एम्स रायबरेली और एम्स गोरखपुर में ओपीडी सेवाएं शुरू हो गई। वर्ष 2019-20 से एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू हो गई है।। चार साल में एमबीबीएस की 2,488 सीटें बढ़ाई गईं। पीजी डिप्लोमा की 588 सीटें बढ़ाई गईं। लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर चिकित्सा विश्वविद्यालय स्थापित किया गया। विश्वविद्यालय ने मेडिकल कॉलेज लेना शुरू कर दिया है और नर्सिंग कॉलेजों ने संबद्धता के लिए अपना प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।
इंसेफेलाइटिस पर काबू पाया :- यूपी भारत की पारंपरिक चिकित्सा की विरासत को बढ़ावा देने में भी आगे आई है। प्रदेश सरकार गोरखपुर में एक आयुष विश्वविद्यालय स्थापित कर रही है। सरकार की इस सख्ती की वजह से इंसेफेलाइटिस जैसी गंभीर बीमारी को खत्म कर के दम लिया। इसके लिए गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा बुनियादी ढांचे का विकास किया।
विपरीत परिस्थितियों को अवसर में बदला :- वर्ष 2020 का साल कोरोना की वजह से यूपी के लिए चुनौतियों भरा रहा। प्रदेश के सभी चिकित्सा संस्थानों ने विपरीत परिस्थितियों को अवसर में बदला। मार्च, 2020 में किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ की लैब में सिर्फ 60 कोरोना सैंपल की जांच की क्षमता थी। सरकार ने जांच की क्षमता 60 से बढ़कर दो करोड़ कर दी। सबसे अधिक 3.18 करोड़ कोरोना जांच कर उत्तर प्रदेश ने रिकॉर्ड बनाया। वर्ष भर में ही 242 नई लैब स्थापित हो गईं।
स्वास्थ्य के लिए बजट में दिए 1950 करोड़ :- प्रदेश के लोगों के स्वास्थ्य को लेकर सरकार बेहद गंभीर है। वर्ष 2021-22 के बजट में सरकार ने 1950 करोड़ की व्यवस्था प्रस्तवित है। लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई में नई लैब की स्थापना की जाएगी। इसके साथ ही नौ मेडिकल कॉलेज का निर्माण हो रहा है। पीजीआई लखनऊ में डायबिटिक रोगियों के लिए अलग नई व्यवस्था की जाएगी।
पीपीपी मोड पर बनेंगे 16 मेडिकल कॉलेज :- अब, यूपी पीपीपी मोड पर 16 जिलों के मेडिकल कॉलेजों के विकास के लिए तत्पर है। उक्त जिलों में न तो निजी और न ही कोई सरकारी मेडिकल कॉलेज है। अधिकारियों ने कहा, “इसके लिए नीति पहले से ही है और जल्द ही प्रस्ताव आमंत्रित किए जाएंगे।