यूपी ग्राम पंचायत चुनाव 2021 : पंचायत आरक्षण का प्रस्ताव योगी कैबिनेट ने मंजूर किया, शासनादेश शीघ्र दाल पर कहावतें :- यूपी की जनता की भोजन की थाली बिना दाल के अधूरी है। इसको लेकर यहां पर एक कहावत भी मशहूर है, दाल रोटी खाओ प्रभु के गुन गाओ। एक और कहावत के बारे में काफी चर्चा होती है, दाल में कुछ काला है। अब इस कहावत के बारे में सुनिए, दाल भात में मूसलचंद, मतलब अनावश्यक दखल देना। इस पर गौर कीजिए, यह मुंह और मसूर की दाल मतलब अपनी औकात से बढ़कर बात करना।
दाल है महत्वपूर्ण:- जहां पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में अरहर की दाल काफी लोकप्रिय है वहीं पश्चिमी यूपी में उड़द की दाल के बिना उनका खाना पूरा नहीं होता है। यूपी में तुअर (अरहर), चना दाल, मसूर दाल, मूंग दाल, उड़द दाल की भरपूर खेती होती है। दाल में अच्छी-खासी मात्रा में पोषक तत्व मौजूद होते हैं, उनमें भी सबसे ज्यादा प्रोटीन। शाकाहारियों के लिए दाल अच्छा और सस्ता ऑप्शन है। दाल वसा में कम और फाइबर से भरपूर होती हैं यह कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर दोनों के लेवल को कंट्रोल में रखती हैं।
अंतरराष्ट्रीय दलहन दिवस 2021 :- अब हम बता करते हैं कि अंतरराष्ट्रीय दलहन दिवस 2021 (World Pulses Day 2021) की शुरूआत कब से हुई है। अंतरराष्ट्रीय दलहन दिवस बहुत पुराना नहीं है। जब यह समझ में आया कि दाल का सेवन हमारे लिए कितना जरूरी है, कितना महत्वपूर्ण है तो वर्ष 2016 को अंतरराष्ट्रीय दाल का वर्ष मनाया। दाल की महत्व पर गंभीरता दिखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 फरवरी को विश्व दाल दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया। 10 फरवरी 2019 को पहला “अंतरराष्ट्रीय दलहन दिवस” मनाया गया। विश्व दलहन दिवस का उद्देश्य न केवल दाल खाने के फायदे फैलाना है, बल्कि दाल उगाना भी है। जब ऐसा होता है, हम भूख और गरीबी को मिटाने के लिए दालों पर भरोसा कर सकते हैं और एक आम आदमी की थाली में एक प्रमुख खाद्य पदार्थ बन सकते हैं।