प्रतापगढ़ सांसद को धमकी, पांच करोड़ रुपए नहीं दिए तो बम से उड़ा देंगे सुप्रीम कोर्ट ने लगाई है रोक :- किसी जाति को ओबीसी में शामिल करने की प्रक्रिया में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग संस्तुति करता था तब उत्तर प्रदेश सरकार संस्तुति जाति को ओबीसी में शामिल करती थी। पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से यह अधिकार छीन लिया है। और यह निर्देश जारी किया है कि, ओबीसी सूची तैयार करना सिर्फ केंद्र सरकार का अधिकार है। पर मोदी सरकार के बिल पास होने के बाद राज्य अपने यहां ओबीसी की सूची में जातियां शामिल कर सकेंगे।
यूपी की ओबीसी सूची 79 जातियां :- उत्तर प्रदेश में ओबीसी की सूची में इस समय 79 जातियां शामिल हैं। ओबीसी की आबादी प्रदेश की कुल जनसंख्या का 54 प्रतिशत मानी जाती है। आायोग 39 जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए आयोग उत्तर प्रदेश सरकार को संस्तुति भेजेगा।
39 जातियों का हुआ चयन :- उप्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन यशवंत सैनी ने बताया कि, कुल 70 जातियों के प्रतिवेदन में से 39 को मानकों के आधार पर चयनित किया गया है। इनमें से 24 जातियों की आबादी, अन्य विषयों पर सर्वे करवाने के बाद आए तथ्यों पर विश्लेषण किया जा रहा है। 15 अन्य जातियों का अभी सर्वे करवाना बाकी है। सर्वे के बाद इन जातियों को भी ओबीसी की सूची में अधिसूचित करने पर निर्णय लिया जाएगा।
वर्ष 2019 में सौंपी थी रिपोर्ट :- वर्ष 2019 में सामाजिक न्याय समिति ने यूपी में ओबीसी जातियों की आबादी की रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। यह रिपोर्ट हुकुम सिंह कमेटी पर आधारित बताई जा रही है।
ओबीसी में शामिल होने वाली उम्मीदवार जातियां :- भूर्तिया, अग्रहरि, दोसर वैश्य, जैसवार राजपूत, रूहेला, मुस्लिम शाह, मुस्लिम कायस्थ, हिन्दू कायस्थ, बर्नवाल, कमलापुरी वैश्य, कोर क्षत्रिय राजपूत, दोहर, अयोध्यावासी वैश्य, केसरवानी वैश्य, बागवान, ओमर बनिया, माहौर वैश्य, हिन्दू भाट, भट्ट, गोरिया, बोट, पंवरिया, उमरिया, नोवाना, मुस्लिम भाट।
इन जातियों का होगा सर्वे :- विश्नोई, खार राजपूत, पोरवाल, पुरूवार, कुन्देर खरादी, बिनौधिया वैश्य, सनमाननीय वैश्य, गुलहरे वैश्य, गधईया, राधेड़ी, पिठबज।