संजय कुमार श्रीवास्तव लखनऊ. BJP-SP-BSP-Congress brahmin love कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ने जैसे ही भाजपा का पल्लू पकड़ा यूपी में कमल चुनाव चिन्ह वाली पार्टी ने राहत की सांस ली। भाजपा को ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करने का एक बड़ा ब्रह्मास्त्र मिला गया था। यूपी में अगर राज करना है तो ब्राह्मण वोट को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। यूपी में करीब 12 फीसदी ब्राह्मण वोट हैं। सत्ता पक्ष के साथ ही समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में ब्राह्मण समाज के बड़े-बड़े नेताओं का असर बरकरार है। आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सभी दलों ने ब्राह्मण समाज को अपने साथ लेकर चलाने की तैयारियां शुरू कर दी है। कांग्रेस तो अपने पुराने वोटबैंक (ब्राह्मण, मुस्लिम और दलित वर्ग) में फिर से पैठ बनाने की कोशिश में है।
यूपी में जातीय समीकरण का फार्मूला :- यूपी में जातीय समीकरण का फार्मूला हल किए बिना चुनाव जीतना एक टेढ़ी खीर है। अब अगर वोट बैंक पर नजर डालें तो दलितों का 25 फीसद वोट है। पिछड़ी जाति का वोट 35 फीसद है। जिसमें यादव 13 फीसद, कुर्मी 12 फीसदी और 10 फीसदी अन्य जाति के लोग हैं। 18 फीसदी मुस्लिम और 5 फीसदी जाट वोट बैंक भी अहम रोल अदा करता है। अगड़ी जाति का वोट बैंक में तमाम जातियां शामिल हैं। मुख्य रूप से ब्राह्मण, ठाकुर आते हैं। जिसमें ब्राह्मणों का वोट बैंक 8 फीसदी, 5 फीसदी ठाकुर व अन्य अगड़ी जाति 3 फीसदी है। ऐसे अगड़ी जाति का कुल वोट बैंक तकरीबन 16 फीसदी है।
Uttar Pradesh Assembly election 2022 : भाजपा की विस्तार नीति के मुकाबले के लिए छोटे दलों का महागठबंधन भाजपा में ब्राह्मण मंत्री :- भाजपा में अगर ब्राह्मण नेताओं की बात करें तो वर्ष 2017 में भाजपा के कुल 312 विधायकों में 58 ब्राह्मण चुने गए थे। इनमें 9 ब्राह्मण विधायक मंत्री बनाए गए। ब्राह्मण समाज से आने वाले दिनेश शर्मा उपमुख्यमंत्री बनाए गए। उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, कानून मंत्री बृजेश पाठक, खेलकूद, युवा कल्याण एवं पंचायत राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) उपेंद्र तिवारी, पर्यटन, संस्कृति, धर्मार्थ कार्य और प्रोटोकॉल राज्यमंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी और बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी बनाए गए। इस प्रकार भाजपा ब्राह्मण नेताओं को हमेशा सिर आंखों पर बिठाए रहती है।
सतीश चंद्र मिश्रा बसपा के सबसे बड़े ब्राह्मण नेता :- यूपी की कई विधानसभा क्षेत्रों में ब्राह्मणों का वोट शेयर 20 प्रतिशत से अधिक है। इस रहस्य को जानकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाकर साल 2007 में यूपी की सत्ता कब्जा ली थी। साल 2007 चुनाव में बसपा ने 56 ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे थे। जिसमें से 41 विधायक बने। इस वक्त मायावती के सबसे करीब सतीश चंद्र मिश्रा हैं। इनके साथ ही नकुल दुबे, रंगनाथ मिश्र, अनंत मिश्र ‘अंटू और राम शिरोमणि शुक्ला बसपा के प्रमुख ब्राह्मण नेता हैं।
युवा और बुजुर्ग ब्राह्मण नेता का गढ़ है समाजवादी पार्टी :- समाजवादी पार्टी ने वर्ष 2012 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। इसमें 21 ब्राह्मण विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। अभिषेक मिश्रा, पवन पाण्डेय और मनोज पाण्डेय सहित कई विधायक मंत्री बने थे। माता प्रसाद पाण्डेय विधानसभा के स्पीकर बनाए गए। और आज भी ये ब्राह्मण नेता समाजवादी पार्टी के लिए दिल लगाकर काम कर रहे हैं।
कांग्रेस में ब्राह्मण चेहरा आराधना मिश्रा :- यूपी में कांग्रेस का मुख्य वोट बैंक ब्राह्मण था। यूपी में अब तक 6 मुख्यमंत्री ब्राह्मण रहे और सभी कांग्रेस पार्टी से थे। ब्राह्मणों के दम पर 23 साल तक यूपी पर राज करने वाली कांग्रेस अपनी को फिर से जिंदा करने की लड़ाई लड़ रही है। 2022 विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस प्रियंका गांधी के चेहरे के साथ अपने पुराने वोटबैंक (ब्राह्मण, मुस्लिम और दलित वर्ग) में फिर से पैठ बनाने की कोशिश में है। इस वक्त यूपी में ब्राह्मण नेता के तौर पर कांग्रेस के दिग्गज प्रमोद तिवारी और उनकी बेटी आराधना मिश्रा मोना ही हैं।