क्यों बढ़ रही हैं टमाटर की कीमतें?
टमाटर की कीमतों में यह उछाल लोकल उत्पादन की कमी के चलते हो रहा है। इस समय लखनऊ सहित आसपास के इलाकों में टमाटर की आवक लगभग बंद हो चुकी है, जिससे मांग और आपूर्ति का संतुलन बिगड़ गया है। मौजूदा समय में लखनऊ की मंडियों में टमाटर की आपूर्ति बेंगलुरु और महाराष्ट्र से हो रही है। महाराष्ट्र का हाइब्रिड टमाटर थोक बाजार में 60 रुपये प्रति किलो पड़ रहा है, जबकि बेंगलुरु का देसी टमाटर 75 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है। फुटकर बाजार में यही टमाटर 100 से 120 रुपये तक पहुंच गया है। प्याज की कीमतों में भी आई थी उछाल
टमाटर से पहले प्याज की कीमतें भी आम जनता के लिए सिरदर्द बनी हुई थीं। कुछ ही दिनों पहले प्याज की कीमतें 60-70 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई थीं, लेकिन राष्ट्रीय कृषि विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) द्वारा चलाए गए विशेष अभियान के बाद प्याज की कीमतों में थोड़ी राहत मिली है। नेफेड की मोबाइल वैन के जरिए प्याज 35 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा है, जिससे बाजार में प्याज के दामों में 5-10 रुपये की गिरावट आई है। अब प्याज की खुदरा कीमतें 50-60 रुपये प्रति किलो के बीच स्थिर हो रही हैं, लेकिन टमाटर के बढ़ते दामों ने आम उपभोक्ताओं की परेशानी कम नहीं की है।
जनता की बढ़ती मुश्किलें
टमाटर और प्याज जैसी आवश्यक वस्तुओं के दामों में इस भारी उछाल ने आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे लोग अब सब्जियों के दामों में इस तरह की बढ़ोतरी से और ज्यादा परेशान हैं। टमाटर के बिना कई भारतीय व्यंजन अधूरे लगते हैं, लेकिन बढ़ी हुई कीमतों ने इसे थाली से लगभग गायब कर दिया है। दुकानदारों का कहना है कि कीमतों में बढ़ोतरी का कारण आपूर्ति की कमी और फसल उत्पादन में गिरावट है। टमाटर के दामों में जल्द राहत की उम्मीद नहीं
विशेषज्ञों का कहना है कि टमाटर की कीमतें अभी कुछ समय तक स्थिर रहने की संभावना कम है। जब तक स्थानीय उत्पादन फिर से शुरू नहीं होता और आपूर्ति बेहतर नहीं होती, तब तक उपभोक्ताओं को इस महंगाई का सामना करना पड़ेगा। वहीं, सरकार की ओर से भी अभी तक टमाटर की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कोई विशेष कदम नहीं उठाए गए हैं, जिससे लोगों की उम्मीदें धूमिल होती दिख रही हैं।
नेफेड से मिली प्याज में थोड़ी राहत
हालांकि प्याज की कीमतों पर नेफेड की कार्रवाई से थोड़ी राहत मिली है। नेफेड ने अपनी मोबाइल वैन के जरिए 35 रुपये प्रति किलो के दर से प्याज बेचना शुरू किया, जिससे बाजार में प्याज के दामों में गिरावट आई। अब लखनऊ में प्याज 50-60 रुपये प्रति किलो बिक रहा है, लेकिन टमाटर की महंगाई ने इसे भी फीका कर दिया है। टमाटर की कीमतों में वृद्धि के कई प्रमुख कारण होते हैं। यहां कुछ मुख्य कारण दिए जा रहे हैं जिनकी वजह से टमाटर महंगा हो रहा है:
मौसमी बदलाव और उत्पादन में कमी: टमाटर की खेती मौसम पर निर्भर होती है। जब उत्पादन करने वाले क्षेत्रों में बारिश, बाढ़ या सूखा जैसी प्रतिकूल मौसम परिस्थितियाँ होती हैं, तो फसल प्रभावित होती है, जिससे टमाटर की उपलब्धता कम हो जाती है और कीमतें बढ़ जाती हैं।
लॉजिस्टिक्स और परिवहन लागत: टमाटर जैसे उत्पादों को अन्य क्षेत्रों से लाने में काफी खर्च होता है। जब उत्पादन कम होता है, तो टमाटर को दूर के राज्यों से लाना पड़ता है। इस दौरान परिवहन लागत बढ़ने पर खुदरा बाजार में इसका सीधा असर पड़ता है।
लोकल आवक में कमी: जब स्थानीय स्तर पर टमाटर की पैदावार घट जाती है, तो मांग बढ़ने के बावजूद आपूर्ति कम हो जाती है। इस समय लखनऊ में लोकल आवक बंद होने से टमाटर की आपूर्ति बेंगलुरु और महाराष्ट्र जैसे दूर के राज्यों से हो रही है, जिससे दाम बढ़ रहे हैं।
मांग और आपूर्ति का असंतुलन: टमाटर की मांग लगातार रहती है, खासकर जब यह भारतीय व्यंजनों में प्रमुख रूप से उपयोग होता है। अगर आपूर्ति कम हो जाती है और मांग जस की तस रहती है, तो इसका सीधा असर कीमतों पर पड़ता है।
विपणन और बिचौलियों की भूमिका: कई बार टमाटर की कीमतों में वृद्धि में बिचौलियों की भूमिका भी अहम होती है। किसान से खरीदी गई फसल के दाम में बिचौलिए अपनी मार्जिन बढ़ा लेते हैं, जिससे खुदरा बाजार में कीमतें और बढ़ जाती हैं।
फसल की बर्बादी: खराब मौसम, कीटों का हमला या भंडारण में कमी के कारण टमाटर की फसल का एक बड़ा हिस्सा बर्बाद हो सकता है। इससे उपलब्ध आपूर्ति कम हो जाती है और कीमतें बढ़ने लगती हैं।
इन सभी कारकों के कारण टमाटर की कीमतों में अचानक उछाल आ जाता है, जिससे किचन का बजट बिगड़ जाता है।