लखनऊ. mango Farmer Downcast जून में आठ बार हुई बारिश ने लखनऊ के आम उत्पादकों की कमर तोड़ दी है। बागों में पानी भरने से दशहरी, चौसा जैसे आम की गुणवत्ता प्रभावित हुई। आम पर काले चकत्ते पड़ गए और पेड़ में ही आमों में सड़न पैदा हो गयी। नमी की वजह से मक्खी और अन्य कीड़ों ने आम में छेद कर दिया जिससे वह सड़ गए है। इसी वजह से इस साल यहां के आम बागानों को मुश्किल से 600 करोड़ तक का कारोबार हुआ। जबकि हर साल करीब दो हजार करोड़ में आम से बागान मालिक कमाई करते थे। इस तरह लगातार दूसरे साल आम उत्पादकों को करीब 14 से 15 सौ करोड़ का नुकसान हुआ है।
मशहूर शायर मुनव्वर राना के घर पर देर रात पुलिस की छापेमारी लखनऊ के बाजारों में दशहरी आम 10 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है। जबकि, अच्छी दशहरी 25 से 30 रुपए प्रति किलो बिकती रही है। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेंद्र राजन कहते हैं कि मई-जून में चलने वाली लू दशहरी की बेहतरीन क्वॉलिटी में अहम भूमिका निभाती थी। इस साल जून में करीब आठ बार बारिश हुई। खेतों में पानी भर जाने से नमी पैदा हो गई। वर्षा अधिक होने से फल में मिठास लगभग 30-40 फीसदी तक घट गयी। बारिश की संख्या पांच पार हो जाए तो दशहरी में कई तरह की दिक्कतें आती हैं।
इस तरह बर्बादी :- मैंगो ग्रोवर एसोसिएशन के अध्यक्ष इंसराम अली कहते हैं कि, निर्यात से सब्सिडी भी 26 प्रतिशत से घटाकर 10 फीसदी करने से बागबानों को ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ी है। माल, मलिहाबाद, काकोरी और इटौंजा को मिलाकर 27 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में आम होता है। मलिहाबाद-माल की 90 फीसदी आबादी का मुख्य व्यवसाय आम ही है। हर साल गर्मियों में रोजाना 7-8 गाड़ी मुंबई के लिए लोड होती थी, लेकिन आम की घटती गुणवत्ता से लोडिंग बंद है। मजबूरी में स्थानीय मंडियों में औने-पौने दाम में आम खपाया जा रहा है। इस साल मौसम की बदमिजाजी से 30 फीसदी बौर समय से पहले आए और इसमें से 25 फीसदी खराब हो गए। थ्रिस कीट की वजह से फल बदरंग होने लगा। जब फसल तैयार हुई तब कैटर पिलर ने हमला कर दिया। डंठल से आम कट गिरने लगे और जुड़े आमों के बीच में बैठकर कैटर पिलर ने इसे सड़ा दिया। बेमौसम बारिश ने आम पर पहले काले धब्बे बनाए। फिर एंथ्रेक्नोज और डिप्लोडिया नामक बीमारी ने जकड़ लिया। इससे आम बीच से काला पड़ा और सड़ गया।
नकली कीटनाशक भी बाजार में :- इस बार बाजार में नकली दवाइयां भरी पड़ी हैं। नौ से 11 बार कीटनाशक का स्प्रे किया। इसके बावजूद कीड़े नहीं मरे। ये भी कोरोना की तरह म्यूटेंट हो गए हैं। जबकि, नीम का तेल छिड़काव वाली 80 फीसदी फसल सुरक्षित हैं पके आम पर डांसी का कहर बरपा है। इससे काले धब्बों संग सफेद कीड़े लग रहे हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार आम बदरंग हुआ है। इसके लिए खराब कीटनाशक जिम्मेदार है। इतनी दवा भी नहीं मिलती कि सभी किसानों तक पहुंचा सकें। इस बार सिर्फ 50 लीटर दवा प्राप्त हुई है जो धान-सब्जी, गेहूं की फसल उगाने वाले छोटे-छोटे किसानों को दे दी गई। – नीलम मौर्या, जिला उद्यान अधिकारी