खाद की जरूरत क्यों होती है? पौधों की पोषक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मिट्टी में खाद या उर्वरक मिलते हैं। प्राकृतिक खाद को जैविक खाद और रासायनिक खाद को उर्वरक कहते हैं। अधिकतर किसान फसल की बुवाई में रासायनिक खाद का प्रयोग करते हैं। जैसे डीएपी। डीएपी में उपस्थित फास्फोरस, नाइट्रोजन पौधों को फलने फूलने में टानिक का काम करते हैं। अगर किसान डीएपी नहीं डाल पाता है तो नाइट्रोजन की कमी तो यूरिया के डालने से पूरी हो जाएगी पर फास्फोरस की कमी फल व फूल की प्रक्रिया कम कर देगी। जिससे उत्पादन प्रभावित होगा। पोटाश से जड़ों का विकास होता है। यूरिया से पौधों को पोषक मिलता है। इसकी कमी से पैदावार न के बराबर होती है। तो इन सबके प्रयोग के बिना रबी की फसल का अच्छा उत्पादन संभव नहीं है। आज 50 किग्रा की खाद की बोरी का दाम 1150 रुपए है।
अब मजबूरी यह है कि खाद आसानी से सुलभ नहीं हो पा रही है। सरकार की तमाम निगरानी के बाद भी किसान खाद के लिए बेबस बना हुआ है। तो क्यों नहीं किसान को जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए। प्रोम (फॉस्फोरस रिच आर्गेनिक मैन्योर) तकनीक से जैविक खाद घर पर भी तैयार की जा सकती है। दूसरे वेस्ट डी-कंपोजर, जैविक खेती कर रहे किसानों के लिए जैविक खाद का बेहतर विकल्प है। कम खर्च में किसान इसकी मदद से स्वयं खाद बना सकते हैं। फिर आपकी भूमि भी तो हमेशा स्वस्थ रहेगी। (संकुश्री)