यह पूछे जाने पर कि क्या उनके सहयोगी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, मुख्तार अंसारी को पाले में लाने के लिए सहमत होंगे, क्योंकि यह मुख्य रूप से माफिया डॉन के कारण ही अखिलेश और उनके चाचा शिवपाल के बीच मतभेद 2016 में खुले में सामने आए थे, राजभर ने कहा कि अगर अखिलेश मायावती के साथ मतभेद सुधार सकते हैं तो मुख्तार से क्यों नहीं। वैसे भी मुख्तार मेरी पार्टी से होंगे, सपा से नहीं।
मुस्लिम वोटों पर नजर :- मुख्तार को अपनी पार्टी में लाकर राजभर जाहिर तौर पर पूर्वांचल क्षेत्र में मुस्लिम समर्थन पर नजर गड़ाए हुए हैं। मुख्तार और उनके भाइयों का पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिले गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़, बलिया, देवरिया आदि में काफी प्रभाव है। मुख्तार अंसारी 2005 से जेल में हैं और तीन बार विधानसभा चुनाव सलाखों के पीछे से जीते हैं।