यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध होने के आसार कम नजर आ रहे हैं। भाजपा समाजवादी पार्टी के बागी नितिन अग्रवाल का नाम घोषित करने वाली है तो सपा ने सीतापुर के महमूदाबाद से विधायक नरेंद्र सिंह वर्मा के नाम का ऐलान कर दिया है। उपाध्यक्ष पद के लिए रविवार को अगर इन दोनों नामांकन कर दिया तो चुनाव होगा और एक भी पीछे हट गया तो नया इतिहास बनने से बच जाएगा। नहीं तो सदन में इसके लिए बकायदा मतपेटी रखी जाएगी।
अब तक 17 उपाध्यक्ष :- वर्ष 1937 से अब तक 17 उपाध्यक्ष हुए हैं। कई बार तो बिना उपाध्यक्ष के ही विधानसभा का पूरा कार्यकाल पूरा हो गया। भाजपा के राजेश अग्रवाल (वर्तमान में राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष) विधानसभा के आखिरी उपाध्यक्ष रहे। उनका कार्यकाल मई 2007 तक रहा। अब 14 साल बाद यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष बनाया जा रहा है।
पार्टियों की रणनीतियां :- विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने रविवार को कार्यमंत्रणा समिति की बैठक बुलाई है जबकि मुख्यमंत्री ने सर्वदलीय बैठक 18 अक्तूबर को सबेरे दस बजे बुलाई है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार दोपहर दो बजे पार्टी के सभी विधायकों की बैठक बुलाई है। इसमें विस उपाध्यक्ष चुनाव को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी।
दो सदस्य होने पर गुप्त मतदान :- यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव गुप्त मतदान कराने का प्रावधान है। चुनाव से एक दिन पूर्व मध्यान्ह से पहले कोई सदस्य निर्वाचन के लिए दूसरे सदस्य का नाम-निर्देशन पत्र प्रमुख सचिव को देगा, जिस पर प्रस्तावक के रूप में उस सदस्य के हस्ताक्षर होंगे। साथ ही समर्थक के रूप में किसी तीसरे सदस्य के हस्ताक्षर होंगे। उपाध्यक्ष पद केलिए जिसका नाम प्रस्तावित किया गया होगा, वह सदस्य भी लिखकर देगा कि निर्वाचित होने पर वह उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करने के लिए तैयार है। निर्वाचन के पूर्व किसी भी समय कोई भी अभ्यर्थी मौखिक या लिखित रूप से सूचना देकर अपना नाम वापस ले सकेगा। उपाध्यक्ष पद के लिए एक से अधिक सदस्य का नामांकन होने पर प्रत्येक सदस्य मतदान शलाका (गुप्त मतदान या बैलट) के माध्यम से किया जाएगा।