– ईदगाहों और मस्जिदों में प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार सिर्फ 50 लोग नमाज अता करें।
– ईद-उल-अजहा की नमाज में भी मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ख्याल रखें।
– ईद की नमाज के बाद खुतबा पढ़ना सुन्नत, अगर किसी को खुतबा याद न हो और खुतबे की कोई किताब भी न हो तो वह पहले खुतबे में सूरह फातिहा और सूरह अखलास़ पढ़े और दूसरे खुतबे में दुरूद शरीफ के साथ कोई दुआ अरबी में पढ़े।
– बकरीद पर हर साहिब-ए-हैसियत मुसलमान पर कुर्बानी करना वाजिब है।
– बकरीद से तीन दिनों 21, 22 और 23 जुलाई तक कुर्बानी करना कोई रस्म नही बल्कि खुदा पाक की पसंदीदा इबादत है। इन दिनों में इसके बदले कोई दूसरा नेक अमल नही हो सकता।
– जिन इलाकों में कानूनी बंदिशें हैं या कोशिशों के बावुजूद भी जानवर नहीं हासिल हो पा रहे हैं तो वह लोग भी अपनी रकम दूसरी जगह भेज कर कुर्बानी करा सकते हैं। अगर किसी वजह से दूसरी जगह कुर्बानी नही हो सकी तो ऐसी सूरत में कुर्बानी के दिनों के बाद कुर्बानी की कीमत के बराबर रकम सदका यानी गरीबों को देना वाजिब है।
– हमेशा की तरह उन्ही जानवरों की कुर्बानी की जाए जिन पर कोई कानूनी पाबंदी नही है।
– कुर्बानी के दौरान मास्क और दस्ताने का प्रयोग जरूर करें।
– कुर्बानी के स्थानों पर सैनेटाइजेशन व शारीरिक दूरी का पालन अवश्य करें।
– सड़क के किनारे, गली और सार्वजनिक स्थानों पर कुर्बानी न करें।
– जानवर की खालें खुदा की राह में सदका करें।