केजीएमयू माइक्रोबायोलॉजी लैब से रिपोर्ट
महिला के दो सैंपल केजीएमयू (किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी) माइक्रोबायोलॉजी लैब को जांच के लिए प्राप्त हुए थे।पहला सैंपल उस समय का था, जब महिला एक निजी अस्पताल में भर्ती थीं। यह सैंपल पॉजिटिव पाया गया था और उनकी स्थिति गंभीर थी। दूसरा सैंपल हाल ही में लिया गया, जो नेगेटिव पाया गया। इसका मतलब यह है कि महिला ने इस वायरस से पूर्ण रूप से मुक्ति पा ली है। डॉक्टरों ने बताया कि महिला की उम्र, डायलिसिस पर निर्भरता, और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के बावजूद उनका ठीक होना चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह भी पढ़ें
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कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के बावजूद ठीक होने का प्रमाण
महिला की स्वास्थ्य स्थिति जटिल थी। डायलिसिस पर निर्भरता और प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण उनके इस संक्रमण को हराने की संभावना कम मानी जा रही थी। इसके बावजूद, उचित इलाज और देखभाल से वे पूरी तरह ठीक हो गईं। यह इस बात का प्रमाण है कि सही समय पर की गई चिकित्सा और मरीज का हौसला बड़े से बड़े संक्रमण को भी हराने में मददगार हो सकता है। यह भी पढ़ें
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डॉक्टरों की राय: केजीएमयू के डॉक्टरों ने कहा कि इस मामले से यह स्पष्ट होता है कि एचएमपीवी संक्रमण के प्रति अनावश्यक भय की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि हालांकि यह संक्रमण गंभीर हो सकता है, समय पर निदान और उपचार से इसे ठीक किया जा सकता है।डॉक्टरों ने संक्रमण से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए हैं:
- व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें।
- भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचें, खासकर बुजुर्ग और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग।
- समय-समय पर हाथ धोते रहें।
- खांसी और जुकाम जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
स्वास्थ्य विभाग की भूमिका: स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लिया और महिला के संपर्क में आए सभी लोगों की ट्रेसिंग और परीक्षण किया गया। विभाग ने पाया कि किसी और व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण नहीं हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि संक्रमण फैलने का खतरा कम है।
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