हिंदी की जननी प्रदेश यूपी के लिए हिंदी दिवस मनाना जरूरी है, ताकि लोगों को यह याद रहे कि हिंदी उनकी राजभाषा है। हिंदी दिवस मनाने के पीछे मंशा यही है कि जब तक वे इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे तब तक इस भाषा का विकास नहीं होगा। हैरान होने वाली बात यह है कि भारत के पास अपनी कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को भारत की राजभाषा बनाने का ऐलान किया था। पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया, तब से हर साल हिंदी दिवस मनाया जाता है।
अपनी विशाल जनसंख्या के कमाल की वजह से इंटरनेट हिंदी के अनुसार चल रहा है। हिंदी का इस्तेमाल वेब एड्रेस बनाने में किया जाता है। हर साल हिंदी के कुछ शब्द ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी शामिल होते हैं। पर अधिकांश स्कूलों में हिंदी को गंभीरता से बहुत कम लिया जाता है। बच्चे हिंदी और इंग्लिश का मिलजुला वर्जन बोलते और लिखते हैं। अधिकांश हिंदी टीचर भी इसमें पीछे नहीं है। भाषा के सही ज्ञान न होने की वजह से लोग अपनी संस्कृति, सभ्यता और सहित्य से दूर होते जा रहे हैं। कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से बच्चे शब्दों को रिकॉल नहीं कर पा रहे हैं। सवाल है कि, क्या आने वाले दिनों में हिंदी भाषा हिंग्लिश में तो नहीं बदल जाएगी। (संजय कुमार श्रीवास्तव)