लखनऊ. हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश के दस लाख से अधिक आबादी वाले 14 अन्य शहरों को कमिश्नरेट बनाने और इनमें मुख्य महानगरीय मजिस्ट्रेट की अदालत गठित करने के निर्देश राज्य सरकार को देने के आग्रह वाली जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह महज पब्लिसिटी के लिए दायर की गई लिहाजा इसे खारिज किया जाता है। कोर्ट ने कहाकि, याची इसी कोर्ट में वकालत करता है, उस पर कोई हर्जाना नहीं लगाया।
न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने यह फैसला अभिषेक तिवारी की याचिका पर दिया। इसमें याची ने कहा था कि प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में कमिश्नरेट बनाने और इनमें मुख्य महानगरीय मजिस्ट्रेट की अदालत गठित करने के निर्देश राज्य सरकार को दिए जायें। साथ ही यह भी गुजरिश की थी कि एडीजी स्तर के पुलिस अफसर की जगह आईजी रैंक के पुलिस अफसर को पुलिस कमिश्नर बनाया जाय। याची के वकील अशोक पांडेय का कहना था कि सिर्फ लखनऊ और गौतम बुद्ध नगर में ही अभी तक कमिश्नरेट प्रणाली लागू की गई है, इसे 14 अन्य बड़े शहरों में लागू किया जाना चाहिए।
अदालत ने ऐसी याचिका दायर करने पर सख्त एतराज जताते हुए कहा कि यह संबंधित प्रावधानों को पढ़े बगैर दायर की गई, जो महज पब्लिसिटी के लिए थी।