ये भी पढ़ें- तेज बारिश से लुढ़का पारा, ठंड ने बढ़ाई लोगों की मुश्किलें, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट मांगों पर किया जाए विचार- गुरुवार को लखनऊ बेंच ने आदेश दिया है कि न तो कोई कर्मचारी यूनियन हड़ताल करेगी और न ही किसी कर्मचारी को हड़ताल के लिए प्रेरित किया जाएगा। कोर्ट ने कहा है कि यदि कोई कर्मचारी या यूनियन हड़ताल पर जाती है तो उसके खिलाफ राज्य सरकार अनुशासनात्मक कार्यवाही करे। हालांकि कर्मचारियों के मांगों के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए न्यायालय ने सरकार को यह भी आदेश दिया है कि उनकी मांगों पर विचार करने के लिए एक तंत्र विकसित किया जाए और उन पर बाकायदा विचार किया जाए।
ये भी पढ़ें- अब तक की सबसे बड़ी खबर, अब यूपी सरकार चलाएगी भारतीय रेल, यूपी बजट में हुआ फैसला कोर्ट ने सरकार से एक माह के अंदर मांगी रिपोर्ट- न्यायमूर्ति डीके अरोड़ा व न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता राजीव कुमार की ओर से दायर एक याचिका पर आदेश दिया और कहा कि कहा कि हर सरकारी विभाग में वरिष्ठ अधिकारी कर्मचारियों की उपस्थिति चेक करें और यदि कोई धरना-प्रदर्शन करता दिखे तो उसकी वीडियोग्राफी भी कराएं। न्यायालय ने हड़ताल पर की गयी कार्यवाही से जुड़ी रिपोर्ट पेश करने के लिए सरकार को एक माह का समय दिया है। वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह उपस्थित हुए। उन्होंने न्यायालय को बताया कि सरकार स्वयं हड़ताल पर सख्त है और मात्र दस प्रतिशत कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने की ही सूचना है।