लखनऊ

गोमती रिवर फ्रंट घोटाला : एक ही काम के लिए दंपत्ति ने डाला टेंडर, पत्नी को मिला ठेका

– गोमती रिवर फ्रंट परियोजना के घोटाले के जिन्न ने एक बार फिर अपना सिर बाहर निकाला है। इस घोटाले की जांच में सीबीआई को ऐसे-ऐसे कारनामे मिले की वह खुद ही हैरान हो गई।

लखनऊJul 06, 2021 / 04:27 pm

Mahendra Pratap

गोमती रिवर फ्रंट घोटाला : एक ही काम के लिए दंपत्ति ने डाला टेंडर, पत्नी को मिला ठेका

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. gomti river front scam जिला पंचायत चुनाव खत्म हो गया है। अब यूपी विधानसभा चुनाव करीब आ रहा है। इसी बीच गोमती रिवर फ्रंट परियोजना के घोटाले के जिन्न ने एक बार फिर अपना सिर बाहर निकाला है। इस घोटाले की जांच में सीबीआई को ऐसे-ऐसे कारनामे मिले की वह खुद ही हैरान हो गई। इस परियोजना में सिल्ट सफाई के काम के लिए मियां और बीबी दोनों ने अलग-अलग टेंडर डाले। और पत्नी को आखिरकार टेंडर मिल गया। अफसरों ने एल-1 (सबसे कम रेट देने वाली फर्म) का फायदा उठाकर जिन्हें ठेका देना चाहा उन्हें दे दिया।
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पति व पत्नी में ही कॉम्प्टीशन :- गोमती रिवर की 1.2 किमी सिल्ट सफाई का काम, जिसकी अनुबंधित लागत 1.88 करोड़ रुपए थी, ग्लोबल कंस्ट्रक्शन कंपनी की मालिकन सुनीता यादव को दिया गया। ग्लोबल कंस्ट्रक्शन कंपनी का सारा काम उनके पति त्रुशन पाल सिंह यादव ही देखते हैं। इस टेंडर में जो दूसरी बिड मेसर्स मा अवंतिका बिल्डर्स ने डाली, जिसके प्रोपराइटर सुनीता के पति त्रुशन पाल ही थे। मतलब पति व पत्नी ही एक-दूसरे से कॉम्प्टीशन कर रहे थे।
टेंडर समाचार पत्रों में छपवाए ही नहीं गए :- सीबीआई जांच में कहा गया कि, परियोजना में कुल 673 कामों में से 519 टेंडर, 115 कोटेशन, 29 सीधी आपूर्ति, 9 मिश्रित खर्च और एक काम एमओयू के आधार पर दिए गए। अधिकांश टेंडर समाचार पत्रों में नहीं छपवाए गए। सिर्फ साठगांठ अपनी चहेती कम्पनियों को काम दे दिया गया।
एल-2 व एल-3 को आधार बनाकर दिया काम :- सिल्ट सफाई का ही 1.89 करोड़ रुपये का काम मो. आसिफ खान की तराई कंस्ट्रक्शन को दिया गया। इसमें एल-2 व एल-3 (नीचे से दूसरे व तीसरे नंबर के रेट देने वाली) फर्म फर्जी ढंग से सिर्फ दिखाई भर गईं। कई टेंडरों का प्रकाशन ही नहीं कराया गया। इसका एफआईआर में जिक्र है।
पूरा पैसा खर्च सिर्फ 60 फीसद हुआ काम :- सीबीआई ने एफआईआर में कहाकि, गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट की कुल लागत 1513 करोड़ रुपए मानी गई थी। इसमें से 1437 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। इतना पैसा खर्च कर सिर्फ 60 फीसद ही हुआ। इसमें 4 टेंडरों के माध्यम से 12 कामों के ठेके दिए गए, जिन पर 1031 करोड़ का खर्च हुआ। 407 करोड़ लागत के शेष 661 कार्यों को सीबीआई ने प्रारंभिक जांच में शामिल किया। यह परियोजना 2014-15 में शुरू होकर 31 मार्च 2017 तक चली थी।

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