टेस्ट ट्यूब बेबी को लेकर कई भ्रांतियां टेस्ट ट्यूब बेबी को लेकर लोगों के दिमाग में तरह तरह की भ्रांतियां हैं जबकि इससे पैदा होने वाला नवजात शिशु भी सामान्य लोगों की तरह अपना जीवनयापन करता है इसका उदाहरण राजधानी की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी प्रार्थना बनी हैं। जिन्होंने एक सप्ताह पहले स्वस्थ शिशु को जन्म दिया।
आइवीएफ संतान का हुआ जन्म अजंता हास्पिटल एंड आइवीएफ सेंटर प्रा. लिमिटेड आलमबाग की डा. गीता खन्ना ने बताया कि, वर्ष 1998 में मेरे हाथों आइवीएफ संतान प्रार्थना का जन्म हुआ था। दो साल पहले ही उसकी शादी हुई। और उसने एक बच्ची को जन्म दिया। जिसका नाम रखा गया है पावनी।
आइवीएफ की राह में आई कई चुनौतियां डा. गीता खन्ना ने आगे बताया कि, ढाई दशक पहले जब लखनऊ में आइवीएफ प्रक्रिया शुरू की गई तो कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। मरीज को राजी करना सबसे कठिन काम था। 25 साल में करीब 8000 आइवीएफ बच्चों ने जन्म लिया है।
मां बनना सबसे सुखद पल – प्रार्थना लखनऊ की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी प्रार्थना ने बताया कि, मां बनना मेरे जीवन का सबसे सुखद पल है। आज मां बनकर मैंने साबित कर दिया कि आइवीएफ एक सामान्य प्रक्रिया है जो संतान उत्पत्ति में तमाम बाधाओं का निराकरण करती है। मैं डाक्टर का धन्यवाद करती हूं। जिन्होंने मुझे और मेरे बच्चे को एक सामान्य जीवन दिया।
आइवीएफ क्या है जानें संतानहीनता के इलाज के मामले में जब सारी चिकित्सकीय तकनीक फेल हो जाती है, तब आईवीएफ प्रक्रिया को चिकित्सा जगत में उम्मीद की आखिरी किरण माना जाता है। इन व्रिटो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) में महिलाओं में कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है। आधुनिक युग में यह बांझपन दूर करने की एक कारगर तकनीक है। इस तकनीक में किसी महिला के अंडाशय से अंडे को अलग कर उसका संपर्क द्रव माध्यम में शुक्राणुओं से कराया जाता है और फिर उसके बाद निषेचित अंडे को महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है। वर्तमान समय में आईवीएफ की कई अन्य तकनीक भी प्रचलन में है।
आइवीएफ पहला रास्ता नहीं डा. गीता खन्ना ने कहाकि आइवीएफ की सफलता मातृ आयु और उचित रोगी चयन पर निर्भर करती है। आइवीएफ पहला रास्ता नहीं है। अब हार्मोनल इंजेक्शन व नई दवाओं से 85 फीसदी दंपति की सूनी गोद बिना आइवीएफ के भर सकती है।