लखनऊ. किसानों के लिए बड़ी खुशखबर। उत्तर प्रदेश सरकार किसानों से धान की पराली और गन्ने की पत्तियां खरीदेगी। यूपी सरकार 1500 रुपए से 2000 रुपए प्रति टन के हिसाब पराली और गन्ने की पत्तियों को खरीदेगी।
गणतंत्र दिवस पर पहले ध्वजारोहण फिर सलामी तब हुआ धन्नीपुर मस्जिद का शिलान्यास किसानों का पराली जलाना यूपी सरकार के लिए एक बड़ा सिरदर्द है। इस समस्या के समाधान के लिए यूपी की योगी सरकार ने पराली व गन्ने की पत्तियां खरीदने की योजना बनाई है। इसे दो फायदे होंगे एक तो पराली नहीं जलेगी तो प्रदूषण से बचाव होगा और दूसरे किसान की आमदनी दोगुनी करने की सरकार की योजना में मददगार होगी। किसानों से फसल का यह कचरा खरीद कर बायोकोल प्रोडक्शन यूनिट में भेजेगी।
बहराइच में बायोकोल उत्पादन इकाई:- बहराइच जिले के रिसिया इलाके में कृषि अपशिष्टों से बायोकोल उत्पादन इकाई की स्थापना की गई है। प्रदेश का यह पहला कृषि अवशेष से बायोकोल उत्पादन का संयंत्र है, जिसका ट्रायल पूरा हो चुका है। जल्द ही यह काम करना शुरू कर देगी। इसलिए किसानों से अब तक फसल अवशेष पराली, मक्के का डंठल, गन्ने की पत्ती आदि लगभग 10 हजार कुंतल की खरीदी हो चुकी है।
फसल के कचरे की कीमतें :- यूपी सरकार के अनुसार, फसल के कचरा का सरकारी रेट निम्न प्रकार से है। गन्ने की पत्ती की बेल (गांठ) डेढ़ रुपए प्रति किलो, सरसों की डंठल (तूड़ी) दो रुपए प्रति किलो, मक्का डंठल डेढ़ रुपए प्रति किलो, पराली (धान पुआल) बेल डेढ़ रुपए प्रति किलो, गेहूं का निष्प्रयोज्य अवशेष डेढ़ रुपए किलो, अरहर स्टैक (झकरा) तीन रुपए प्रति किलो और मसूर भूसा दो रुपए प्रति किलो खरीदा जाएगा।
ईकाइयां लगाने के लिए किया जा रहा प्रेरित:- एपीसी आलोक सिन्हा ने बताया कि, इससे जहां किसानों को पराली की समस्या का समाधान हो जाएगा वहीं पराली के बदले में रुपए भी मिलेंगे। सूबे में अधिक से अधिक कृषि अवशेषों से पैलेट्स बनाने की ईकाइयां लग सकें, इसके लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है।
छह प्रस्ताव मिले हैं, ट्रेनिंग जारी:- बायोमास ब्रिकेट एसोसिएशन यूपी अध्यक्ष राम रतन ने बताया कि, प्रदेश में करीब 200 इकाइयां कार्यरत हैं। इसी तरह का संयत्र लगाने को शाहजहांपुर से दो, पीलीभीत से एक, फैजाबाद से एक, बस्ती से एक और गोरखपुर से एक प्रस्ताव मिले हैं, जिन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है।