लखनऊ

Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : भाजपा को मिला जीत का मंत्र, करीब 150 गैर-यादव ओबीसी उम्मीदवारों पर लगाएगी दांव

– 150 गैर-यादव ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट देने की योजना- भाजपा ओबीसी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में फैसले पर लगेगी आखिरी मोहर

लखनऊJul 17, 2021 / 05:51 pm

Mahendra Pratap

Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : भाजपा को मिला जीत का मंत्र, इन 150 उम्मीदवारों पर लगाएगी दांव

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. UP Assembly Election 2022 Updates पंचायत चुनाव के बाद खुशी से लबरेज भाजपा अब विधानसभा चुनाव 2022 (uttar pradesh assembly elections 2022) की तैयारियों में जुट गई है। यूपी में एक बार फिर कमल का फूल खिले इसको लेकर सरकार और संगठन दोनों सचेत हैं। कोई चूक नहीं करना चाह रहे हैं। लगातार चिंतन में भाजपा को यूपी चुनाव में जीत का मंत्र मिल गया है। सवर्णों की पार्टी भाजपा एक बार फिर यादव रहित ओबीसी को टारगेट कर रही है। चुनाव 2017 में भाजपा ने गैर-यादव ओबीसी जातियों के 148 उम्मीदवारों को टिकट दिया था, चुनाव 2022 में डेढ़ सौ से अधिक ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट देने की योजना है। नई दिल्ली में 23 जुलाई को भाजपा ओबीसी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक (BJP OBC Morcha national executive meeting ) में इस रणनीति पर मंथन करेगी और सबकी रजामंदी हुई तो मोहर भी लग जाएगी।
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यादव सिर्फ नौ फीसद :- यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों में जुटी भाजपा को आखिरकार उस चोर दरवाजे की चाभी मिल गई जिसके जरिए चुनाव 2022 की वैतरणी आराम से पार कर सकेगी। भाजपा यादवों को छोड़ अब अपना फ़ोकस 36 फीसदी ओबीसी जातियों पर कर रही है। अन्य ओबीसी जातियों में 78 जातियां शामिल हैं। वैसे यूपी में कुल पिछड़ा वर्ग की आबादी 45 फीसद है। जिसमें यादव नौ फीसद हैं।
पिछड़ों की पार्टी बन रही है भाजपा :- लगातार वक्त की डिमांड के अनुसार भाजपा अपना कलेवर बदलती जा रही है। भाजपा ने खुद को पिछड़ों की पार्टी के रूप में पेश करने के कई संकेत दिए हैं। और फिर इसकी जरुरत भी है। सपा-बसपा की वोट बैंक पिछड़ी जातियों में भाजपा सेंधमारी कर उन्हें रिझा रही है। गैर-यादव ओबीसी जातियों जैसे कुर्मी, कुशवाहा, लोध, जाट, सैनी, शाक्य, मौर्य और कुछ अन्य छोटी जातियों को अपने वोटबैंक में जोड़ने में सफल भी हुई है।
गैर यादव पिछड़ी जाति का है बड़ा प्रभाव :- गैर यादव पिछड़ी जाति जैसे कुर्मी वाराणसी, कानपुर, लखीमपुर खीरी, फर्रुखाबाद समेत पूर्वांचल और बुंदेलखड़ के कुल 17 जिलों में पायी जाती है। यह कुल आबादी की 15 फीसदी से ज्यादा है। वहीं सहारनपुर, मुजफरनगर समेत आसपास के जिलों में सैनी और प्रतापगढ़, इलाहाबाद, देवरिया, कुशीनगर, संत कबीरनगर, गोरखपुर, महराजगंज, आजमगढ़, वाराणसी और चंदौली जैसे जिलों में मौर्य, कुशवाहा बिरादरी की अच्छी खासी संख्या है।
चुनाव वाले राज्यों में अहम रोल अदा करेगा ओबीसी मोर्चा :- 23 जुलाई को नई दिल्ली में बीजेपी ओबीसी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है। भाजपा ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष के लक्ष्मण ने कहाकि, पीएम मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में 27 ओबीसी मंत्री बनाए हैं और इसने समुदाय को विश्वास दिलाया है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में हम आगामी विधानसभा चुनावों सहित कई चीजों पर चर्चा करेंगे। ओबीसी मोर्चा चुनाव वाले राज्यों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
गैर-यादव ओबीसी पर टारगेट :- यूपी भाजपा ओबीसी मोर्चा अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप ने कहा कि, उत्तर प्रदेश में भाजपा ओबीसी के बीच पहली पसंद रही है। इस बार हमारी ओबीसी के बीच और पैठ बनाने की है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि भाजपा का ज्यादातर ध्यान गैर-यादव ओबीसी पर है, जो राज्य की आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा हैं।
जाट नाराज पर समझा लेंगे :- यूपी में भाजपा के लिए एकमात्र समस्या 2 फीसद जाट है, वह आजकल भाजपा से नाराज हैं। यूपी विधानसभा चुनाव की 55 सीटों पर जाटों का दबदबा है। नरेंद्र कश्यप का दावा किया कि किसान संघ के साथ कुछ ही जाट हैं।

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