यह भी पढ़ें
Dev Uthani Ekadashi: 12 नवंबर को जागेंगे श्रीहरि विष्णु: देवउठनी एकादशी से शुरू होंगे सभी मांगलिक का
र्यपूजा-विधि और व्रत का महत्व
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और तुलसी की विशेष पूजा का महत्व है। इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है, जिसमें तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से विधिपूर्वक किया जाता है। यह विवाह का प्रतीक है, जो मांगलिक कार्यों के शुभारंभ का प्रतीक भी माना जाता है। भक्तों द्वारा व्रत रखकर भगवान विष्णु का जागरण किया जाता है, और अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है।गन्ना पूजन का महत्व
हनुमान सेतु के वेदाचार्य गोविंद शर्मा ने बताया कि इस देवउठनी एकादशी को मध्याह्न 12:26 बजे तक भद्रा रहेगी। इसके बाद गन्ने का पूजन कर उसका सेवन किया जाएगा। गन्ने का पूजन धन, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, और इसे प्रसाद रूप में ग्रहण करने से जीवन में मिठास आती है। यह भी पढ़ें
अगहन पंचमी से श्रीराम लला को पहनाई जाएगी रजाई: सर्दियों के भोग और सेवाओं में होंगे बदलाव
मांगलिक कार्यों की शुरुआत
ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल के अनुसार, देवउठनी एकादशी के बाद से विवाह आदि मांगलिक कार्य पुनः प्रारंभ हो जाते हैं। इस वर्ष 17 नवंबर से 15 दिसंबर तक विवाह के शुभ मुहूर्त हैं, जिनमें कई जोड़ियां परिणय सूत्र में बंधेंगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन का पूजन और दान-पुण्य करने से परिवार में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। यह भी पढ़ें