प्रतिदिन 79 हजार टन कोयला खपत :- प्रदेश में कोयले की भारी कमी है। विद्युत उत्पादन निगम की हरदुआगंज, पारीछा, अनपरा व ओबरा में 950 मेगावाट उत्पादन बंद है। इन बिजली घरों में प्रतिदिन 79 हजार टन कोयला खपत होता है। इस वक्त किसी के पास एक दिन तो किसी के पास ढाई दिन का कोयला स्टाक में है।
केंद्रीय ऊर्जा सचिव से मिला आश्वासन :- हरदुआगंज में 12,039 मीट्रिक टन कोयले का स्टॉक है। डेढ़ दिन ही काम चलेगा। पारीछा में 14,803 मीट्रिक टन स्टॉक से सिर्फ एक दिन उत्पादन हो सकेगा। ओबरा में 35,278 मीट्रिक टन स्टॉक से ढाई दिन संयंत्र चलेगा, जबकि अनपरा में 69,190 मीट्रिक टन कोयला से संयंत्र दो दिन चलाया जा सकेगा। मंगलवार को एमडी पी गुरुप्रसाद को केंद्रीय ऊर्जा सचिव आलोक कुमार से शीघ्र कोयले की आपूर्ति के लिए आश्वासन मिला है।
90 हजार करोड़ रुपए का कर्ज :- पावर कारपोरेशन पर फिलवक्त 90 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। पावर कारपोरेशन जहां कोयले का भुगतान नहीं कर पा रहा है वहीं एनटीपीसी आदि से आपूर्ति की गई बिजली का भी बकाया समय से नहीं दे पा रहा है। इस मजबूरी में पावर कारपोरेशन, इनर्जी एक्सचेंज से दोगुने दाम पर बिजली खरीद रहा है। यूपी विधानसभा चुनाव करीब है, योगी सरकार जनता की कोई नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है। इसके लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने शाम छह बजे से सुबह सात बजे तक प्रदेशभर को बिजली कटौती से मुक्त रखने के निर्देश दिए हैं। अपने फैसले को मूर्तरुप देने के लिए पावर कारपोरेशन को 10 हजार करोड़ रुपए देने का फैसला किया है।
पहले जरूरी भुगतान होंगे :- इस दजार करोड़ रुपए में से यूपी राज्य विद्युत उत्पादन निगम, अपने बिजली घरों के लिए खरीदे गए कोयले का 1540 करोड़ रुपए का पुराना भुगतान करेगा। वैसे तो बिजली खरीदने का लगभग 27 हजार करोड़ रुपए का बकाया है। पर पहले जरूरी भुगतान होंगे। एनटीपीसी की चेतावनी के बाद पहले उसे एक हजार करोड़ रुपए का भुगतान किया जाएगा। फिर बाकी का भुगतान किया जाएगा। पावर कॉर्पोरेशन की पूरी कोशिश है कि किसी तरह से कोयला संकट दूर हो जाए और बिजली आपूर्ति दुरुस्त हो जाए।
उठाए जा रहे हैं हरसंभव कदम :- ऊर्जा मंत्री ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा का कहना है कि प्रदेशवासियों को तय शेड्यूल के अनुसार बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं।
ऊर्जा कानून में बदलाव की जरूरत :- अवधेश कुमार वर्मा यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि कुछ राज्य इस आपदा में अवसर तलाशते हुए मुनाफाखोरी में लगे हैं। इस पर अंकुश लगाने के लिए ऊर्जा कानून में बदलाव की जरूरत है।