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महिलाएं और बच्चे नहीं होते शामिल चौक सर्राफा एसोसिएशन के महामंत्री विनोद माहेश्वरी बताते हैं कि बाजार में पूर्व व्यवसायी गोंविद वर्मा, गेंदा लाल माहेश्वरी, दिक्कन भैया व राजनेता रहे कन्हैया लाल महेन्द्रू इत्यादि लोगों ने मिलकर इस परम्परा को डाला था। तब से हर साल होली के एक दिन पहले से इस बाजार में होली खेली जाती है। चौक के गोल दरवाजे से लेकर, लगभग आधे किलोमीटर के दायरे में खूब अबीर, गुलाल और रंग चलता है। उन्होंने कहा कि इसमें दूसरे लोग भी शामिल हो सकते हैं, लेकिन महिलाओं और बच्चों पर रंग नहीं डाला जाता है। होली के बाद स्वादिष्ट पकवान और ठंडाई पीने का दौर शुरू होता है। यह भी पढ़ें