प्रयागराज और कानपुर में घोटाले का मामला :- शिया सेंट्रल बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी शीघ्र ही भारी मुसीबत में घिरने वाले हैं। वसीम रिजवी पर एफआईआर प्रयागराज और कानपुर में वक्फ संपत्तियों की खरीद-फरोख्त में धोखाधड़ी और गड़बड़ी के आरोप में दर्ज की गई है। पहली एफआईआर प्रयागराज में वर्ष 2016 में इमामबाड़ा गुलाम हैदर में कथित अतिक्रमण और दुकानों के अवैध निर्माण से संबंधित है, जबकि लखनऊ में दर्ज एफआईआर का मामला कानपुर के स्वरूप नगर में जमीन हड़पने का है। इन दोनों दर्ज केस के आधार पर वसीम रिजवी के खिलाफ एफआइआर फाइल हुई है। जिसमें वसीम रिजवी पर आरोप है कि उन्होंने शिया वक्फ बोर्ड का चेयरमैन रहते हुए वक्फ की संपत्तियों की खरीद-बिक्री में घोटाला किया है।
पांच नामों के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर :- लखनऊ में दर्ज मामले में वक्फ बोर्ड के दो अफसरों समेत पांच का नाम शामिल है। जिनमें नरेश कृष्ण सोमानी, विजय कृष्ण सोमानी, वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक अधिकारी गुलाम सैयदेन रिजवी और निरीक्षक बाकर रजा को आरोपी बनाया है। शिया वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में गड़बड़ी के दोनों मामलों के संज्ञान में आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।
तीन धाराओं में एफआईआर दर्ज :- सीबीआई की लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने आईपीसी की धारा 409, 420 और 506 के तहत एफआइआर दर्ज की है। इस एफआईआर में वसीम रिजवी, बोर्ड के प्रशासनिक अफसर गुलाम सैयदन रिजवी, वक्फ इंस्पेक्टर वाकर रजा के साथ नरेश कृष्ण सोमानी और विजय कृष्ण सोमानी को नामजद किया गया है। इसके साथ ही प्रयागराज में हुए वक्फ घोटाले की एफआईआर में सिर्फ वसीम रिजवी का ही नाम दर्ज किया गया है।