हालांकि, आजमगढ़ भाजपा के लिए ज्यादा मुफीद नहीं रहा है। यहां मोदी लहर के बावजूद 2017 में सपा ने 10 में से पांच सीटें जीती थी, जबकि भाजपा को महज एक सीट से संतोष करना पड़ा था। शेष बसपा के खाते में गयी थीं। सपा के इस मजबूत किले को भाजपा इस बार किसी तरह तोड़ना चाहती है। इसके लिए भाजपा के चाणक्य अमित शाह खुद यहां 13 नवम्बर को रैली करेंगे। अमित शाह पिछले सप्ताह लखनऊ प्रवास के दौरान योगी सरकार के मंत्रियों और संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर सियासी माहौल भांपने के बाद अब वह अपना रूख पूर्वांचल की ओर किया है। यहां पर वह सपा के मजबूत दुर्ग आजमगढ़ और प्रधानामंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में पार्टी नेताओं और पदाधिकारियों के साथ बैठक कर 2022 की चुनावी रणनीति बनाएंगे।
योगी आदित्यनाथ ने संभाली है कमान :- भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि आजमगढ़ सपा का मजबूत गढ़ रहा है। मोदी लहर में भी भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं था। लिहाजा, इस बार भाजपा दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतरने जा रही है। इसकी कमान खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभाली है। साल 2017 के चुनाव में भाजपा को फूलपुर पवई सीट पर जीत मिली थी। इस सीट से भाजपा के अरुणकांत यादव विधायक हैं। नौ सीटें सपा और बसपा के खाते में गई थीं। इसी कारण भाजपा यहां पर अपने प्रदर्शन को और अच्छा करना चाहती है। उन्होंने बताया यहां अमित शाह कई बैठकें करेंगे।
शाह करेंगे व्यूह रचना :- शाह इस दौरान अलग-अलग सांगठनिक बैठकों के साथ ही समाज में पैठ रखने वाले लोगों के साथ चर्चा करेंगे। इस दौरान अमित शाह प्रधानमंत्री मोदी के काशी क्षेत्र के विधानसभा सीटों पर सक्रिय दावेदार, पूर्व प्रत्याशी, विधायक सहित अन्य लोगों की समीक्षा भी करेंगे। आजमगढ़ में विधानसभा की दस सीटें हैं। इसी कड़ी में राज्य विश्वविद्यालय की नींव डाली जा रही है। पार्टी का प्रयास है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में और ज्यादा सीटें जीती जा सकें। यहां फूलपुर पवई, गोपालपुर, दीदारगंज, मुबारकपुर, मेंहनगर (सुरक्षित), लालगंज (सुरक्षित), अतरौलिया, सगड़ी, आजमगढ़ सदर और निजामाबाद सीटें आती हैं।
मोदी लहर में भी नुकसान :- अगर पुराने राजनीतिक परिस्थितियों को देखे तो यहां मोदी लहर में भी भाजपा लालगंज और आजमगढ़ लोकसभा सीट नहीं जीत पाई थी। 2014 में आजमगढ़ से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने चुनाव जीता था। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यहां से भोजपुरी फिल्म स्टार दिनेश लाल निरहुआ को हराया था। हालांकि, 2014 के के चुनाव भाजपा ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित लालगंज पर चुनाव जीता था।
पार्टी को मिलेगा जनता का प्यार-सपा सपा के पूर्व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व वरिष्ठ नेता रजनीश राय का कहना है कि सपा का यहां पर कोई तोड़ नहीं है। इस बार जनता सपा को पहले से ज्यादा प्यार देगी। भाजपा सिर्फ झूठ और नफरत की राजनीति करती है। जनता इनके चेहरे को पहचान गयी है। कोरोनाकाल में सपा के सिपाहियों ने पूरे शिद्दत के साथ काम किया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार निरीक्षण भी करते थे। वह रिपोर्ट भी लेते थे। यहां पर सपा को कोई विकल्प नहीं है।
संपर्क-संवाद कर रहे कायम-भाजपा दूसरी ओर, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक ने कहा कि हमने 47 विधायकों से अपनी पार्टी का विस्तार किया। वर्ष 2017 में हमें जनता ने 325 सीटें दी हैं। 70-80 सीटें हम नहीं जीत पाए थे। जो नहीं जीते थे। उसे जीतना है। उसी क्रम में आजमगढ़ भी है। यहां भाजपा सीटें जीतने के लिए संपर्क-संवाद काम हो रहा है। आजमगढ़ में कमल खिलाने की तैयारी हो रही है।