मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते दिनों कथित ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून लाने का ऐलान किया था। दरअसल पहले स्टेट लॉ कमीशन ने अपनी भारी-भरकम रिपोर्ट सीएम को सौंपी थी, जिसके बाद यूपी के गृह विभाग ने इसकी रूपरेखा तैयार की और न्याय एवं विधि विभाग से अनुमति ली। अब इस मसौदे को राज्यपाल के पास भेजा जाएगा, जहां से इसे मंजूरी मिलेगा और यह प्रभावी हो जाएगा। देश का यूपी पहला राज्य होगा जहां लव जिहाद करना अपराध होगा।
ये भी पढ़ें- बच्चों का यौन उत्पीड़न मामला आरोपी जेई निकला कोरोना पॉजिटिव यूपी सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि हाल में 100 से ज्यादा घटनाओं में जबरन धर्म परिवर्तन के मामले सामने आए हैं। जिसके अंतर्गत लड़कियों का उत्पीड़न व शोषण किया गया है। छल व बल पूर्वक धर्म परिवर्तन करने जैसे मामलों के लिए कानून लाना जरूरी था। इसके लिए कड़े नियम बनाए गए हैं। जबरन व धोखे से धर्म परिवर्तन करने वालों को एक से पांच वर्ष तक की सजा होगी व 15000 रुपए का जुर्माना देना होगा। नाबालिग, जनजाति या अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के साथ यदि ऐसा हुआ तो आरोपी पर 3 से 10 वर्ष की सजा व 25000 रुपए का जुर्माना लगेगा है। सामूहिक धर्म परिवर्तन करवाने वाले संगठन पर 50000 रुपए का जुर्माना व 3-10 साल तक की सजा का प्रावधान होगा।
स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने वाले दें जानकारी-
स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने वालों को सहूलियत दी गई है। सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि जो धर्म परिवर्तन करके शादी करना चाहते हों उन्हें जिला मैजिस्ट्रेट को दो माह पूर्व बताना होगा। एक फॉर्म भरना होगा। तब वह धर्म बदल सकते हैं। वहीं मामले में दोषी पाए गए लोग भी अपना मुकदमा दर्ज करा सकते हैं।
स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने वालों को सहूलियत दी गई है। सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि जो धर्म परिवर्तन करके शादी करना चाहते हों उन्हें जिला मैजिस्ट्रेट को दो माह पूर्व बताना होगा। एक फॉर्म भरना होगा। तब वह धर्म बदल सकते हैं। वहीं मामले में दोषी पाए गए लोग भी अपना मुकदमा दर्ज करा सकते हैं।
ये भी पढ़ें- विंध्य क्षेत्र के हर घर में पहुंचेगा साफ पानी, पीएम मोदी-सीएम योगी ने की 5,555 करोड़ की योजनाओं की शुरुआत किसी भी धर्म के व्यक्ति को मनपसंद साथी चुनने का हक-
इससे पूर्व इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मांतरण से जुड़े अपने ही फैसले को गलत ठहरा दिया था। कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी धर्म के व्यक्ति को मनपसंद साथी चुनने का हक है। इसमें किसी को दखल देने का अधिकार नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि अनिवार्य रूप से यह मायने नहीं रखता कि कोई धर्मातरण वैध है या नहीं। एक साथ रहने के लिए दो बालिगों के अधिकार को राज्य या अन्य द्वारा नहीं छीना जा सकता है। पहले कोर्ट ने पूर्व में केवल शादी के मकसद से किए गए धर्मांतरण को गलत ठहराया था। इसी फैसले के दम पर सीएम योगी ने भी एक जनसभा जल्द कानून बनाने का ऐलान किया था। इस आधार पर यूप लॉ कमीशन ने कानून बनाने को लेकर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी, जिसके बाद यूपी के गृह विभाग ने इसकी रूपरेखा तैयार की और न्याय एवं विधि विभाग से अनुमति ली थी।
इससे पूर्व इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मांतरण से जुड़े अपने ही फैसले को गलत ठहरा दिया था। कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी धर्म के व्यक्ति को मनपसंद साथी चुनने का हक है। इसमें किसी को दखल देने का अधिकार नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि अनिवार्य रूप से यह मायने नहीं रखता कि कोई धर्मातरण वैध है या नहीं। एक साथ रहने के लिए दो बालिगों के अधिकार को राज्य या अन्य द्वारा नहीं छीना जा सकता है। पहले कोर्ट ने पूर्व में केवल शादी के मकसद से किए गए धर्मांतरण को गलत ठहराया था। इसी फैसले के दम पर सीएम योगी ने भी एक जनसभा जल्द कानून बनाने का ऐलान किया था। इस आधार पर यूप लॉ कमीशन ने कानून बनाने को लेकर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी, जिसके बाद यूपी के गृह विभाग ने इसकी रूपरेखा तैयार की और न्याय एवं विधि विभाग से अनुमति ली थी।