वाराणसी सीट यूपी की सबसे वीवीआईपी सीट रही है। इस सीट से पिछले दो बार से लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद रहे हैं। पीएम मोदी तीसरी बार भी वाराणसी से मैदान में होंगे। वहीं, विपक्षी दल सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन में ये सीट कांग्रेस के हिस्से में आई है। हालांकि कांग्रेस ने अभी तक अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान नहीं किया है।
साल 2014 में आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े थे, और दूसरे नंबर पर रहे। पीएम मोदी को इस चुनाव में 32.89 फीसदी वोट मिले, जबकि केजरीवाल को सिर्फ 11.85 फीसदी वोट मिले थे। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा ने मिलकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा। इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहले से भी कहीं ज्यादा 6,74,664 वोट मिले और वोट फीसद 63.6% रहा। सपा की शालिनी यादव दूसरे नंबर पर रही, उन्हें कुल 1,95,159 वोट मिले और वोट 18.4% रहा। तीसरे नंबर पर कांग्रेस के अजय राय रहे, उन्हें 14.38% वोट के साथ कुल 1,52,548 मत मिले थे।
80 लोकसभा सीट वाले उत्तर प्रदेश में लखनऊ सबसे महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है। यूपी की राजधानी लखनऊ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मूभूमि रही है। यहां अटल जी पांच बार सांसद चुने गए। यहीं से सांसद रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। इस सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। 1991 से लेकर अब तक लखनऊ लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है। अटल की सीट पर एक बार फिर बीजेपी की तरफ से रक्षामंत्री राजनाथ सिंह मैदान में होंगे।
2009 के लोकसभा चुनाव में लालजी टंडन ने उस वक्त कांग्रेस प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी को करीब 41 हजार मतों से हराकर जीत दर्ज की। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए लाल जी टंडन को प्रत्याशी न बनाकर तत्कालीन बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह को प्रत्याशी बनाया। अटल जी की इस सीट पर राजनाथ सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी को करीब को 2,72,749 वोटों से हराया और मोदी सरकार में गृहमंत्री बने।
वहीं, 2019 में बीजेपी ने एक फिर राजनाथ सिंह को टिकट दिया था। राजनाथ सिंह ने सपा की पूनम शत्रुघ्न सिन्हा को 347302 वोटों से हराया था। राजनाथ को करीब 55 प्रतिशत वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर कांग्रेस के आचार्य प्रमोद कृष्णम थे, जिन्हें 180011 वोट मिले थे। यह चुनाव जीतने के बाद राजनाथ सिंह मोदी कार्यकाल 2.0 में देश के रक्षा मंत्री बनाए गए।
कांग्रेस के गढ़ अमेठी से एक बार फिर स्मृति ईरानी को ही मैदान में उतारा गया। ये सीट वीवीआईपी सीटों में आती है। इस सीट पर हमेशा गांधी परिवार का दबदबा रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी यहां से लगातार तीन बार सांसद रहे, लेकिन, 2019 के चुनाव में स्मृति ईरानी के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
अमेठी में 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों की बात करें तो स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 55 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। स्मृति ईरानी को 4 लाख 68 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। जबकि राहुल गांधी को 4 लाख 13 हजार वोट मिले थे। हालांकि, 2014 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के सामने स्मृति ईरानी हार गई थी। इसके बाद बावजबद वह मोदी सरकार में मंत्री बनी थी।
भोजपुरी अभिनेता रवि किशन एक बार फिर गोरखपुर लोकसभा से मैदान में उतरेंगे। ये सीट वीवीआईपी सीटों में आती है। गोरखपुर सीएम योगी का गढ़ रहा है। यहां से सीएम योगी लगातार 5 बार सांसद रहे हैं। 2017 में रवि किशन ने बीजेपी ज्वाइन किया था। इसके बाद 2019 में बीजेपी ने गोरखपुर से रवि किशन को टिकट दिया और उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को तीन लाख से ज्यादा वोटों से हराया था।
भोजपुरी अभिनेता दिनेश लाल यादव निरहुआ पर बीजेपी ने एक बार फिर भरोसा जताया है। निरहुआ एक बार फिर आजमगढ़ लोकसभा से मैदान में होंगे। ये सीट वीवीआईपी सीटों में आती है। आजमगढ़ सपा का गढ़ रहा है। लेकिन 2022 उपचुनाव में दिनेश लाल निरहुआ ने इस सीट पर कमल खिला दिया और समाजवादी पार्टी का किला ढह गया। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस्तीफा देने के बाद ये सीट खाली हुई थी, जिस पर हुए उप चुनाव में निरहुआ ने पूर्व सांसद समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव को 8595 वोट से हरा दिया। भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव को कुल 312432 तथा धर्मेन्द्र यादव को 303837 वोट मिले। बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने 2,66,106 वोट हासिल किया।