1. 2019 के बाद 2022 का विधानसभा चुनाव हुआ, तो समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने योगी सरकार में सहयोगी सुभासपा को तोड़ लिया था। स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) और दारा सिंह चौहान (Dara Singh Chauhan) जैसे कद्दावर मंत्रियों को शामिल कर लिया था।
2. 2024 के चुनाव से पहले सुभासपा फिर योगी सरकार में शामिल हो चुकी है। दारा सिंह फिर से भाजपा में लौटकर मंत्री बन गए हैं। स्वामी ने तो सपा से नाता तोड़कर नई पार्टी का एलान कर दिया है।
3. विपक्ष 2019 और 2022 के मुकाबले काफी बिखरा हुआ है। बची हुई कसर बसपा पूरी करने जा रही है। पार्टी किसी गठबंधन से इतर अपने बलबूते सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। पहली नजर में 24 का चुनाव आमने-सामने की जगह त्रिकोणीय बनता नजर जा रहा है।
4. सत्ताधारी दल न सिर्फ राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण को चुनावी वादे को पूरा करने के रूप में प्रचारित कर रहा है बल्कि देश भर से सत्ताधारी दल के मुख्यमंत्री पूरी कैबिनेट के साथ आकर दर्शन कर रहे हैं। अपने प्रदेशों से समर्थकों की मुफ्त अयोध्या यात्रा करा रहे हैं। भाजपा इस भक्तिमय माहौल का भरपूर लाभ उठाने का प्रयास कर रही है। दूसरी ओर आमंत्रण के बावजूद कांग्रेस व सपा सहित ज्यादातर विपक्षी नेताओं ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी। चुनाव का एलान होने वाला है, अभी भी दूरी बनी हुई है।
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5. पिछले 7 सालों में योगी यूपी में तेज बदलाव के वाहक बनकर उभरे हैं। ऐसे बदलाव जिसे आज कई राज्य और केंद्र के मंत्रालय अपना रहे हैं। केंद्र की दर्जनों योजनाओं में यूपी देश में नंबर वन है। इससे बड़ा लाभार्थी वर्ग बना है। कानून- व्यवस्था के मोर्चे पर योगी की बुलडोजर संस्कृति चर्चा का विषय है। भाजपा इस ताकत का भरपूर फायदा उठाने की तैयारी कर रही है।