तबस्सुम हसन- कैराना लोकसभा सीट पर तबस्सुम हसन ने उपचुनाव के दौरान बड़ी जीत हासिल की थी। इस बार सपा-बसपा व रालोद गठबंधन से रालोद प्रत्याशी तबस्सुम का कैराना में भाजपा के प्रदीप चौधरी व कांग्रेस के हरेंद्र मलिक से मुकाबला होने जा रहा है। तबस्सुम के कारण एक तिहाई मुस्लिम वोट गठबंधन को मिलने की उम्मीद हैं। इसी के साथ अनुसूचित जाति के वोटरों के भी वोट का उन्हें फायदा मिल सकता है।
ये भी पढ़ें- निषाद पार्टी को भाजपा के साथ जाता देख अखिलेश यादव ने निकाली काट, चला सबसे बड़ा दांव, इन्हें दिया टिकट वीके सिंह- भाजपा के मौजूदा सांसद वीके सिंह पार्टी में बड़ा चेहरा है। बीते लोकसभा चुनाव में वे 5 लाख के भारी अंतर से जीते थे। वीके सिंह का शहरी क्षेत्र में मजबूत गढ़ है। पिछले पांच वर्षों में उन्होंने आरओबी (रेल ओवरब्रिज) समेत कई बड़े विकास कार्य कराए हैं। इस बार उनका सपा-बसपा, रालोद के प्रत्याशी सुरेश बंसल व कांग्रेस की डॉली शर्मा से दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलने वाला है।
नसीमुद्दीन सिद्दीकी- बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए नसीमुद्दीन सिद्दीकी बड़ा मुस्लिम चेहरा है। बसपा के संगठन को मजबूत करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। जिले में रहते हुए उन्होंने कई बड़े मुस्लिम नेताओं से संपर्क बनाया था। जिसका फायदा वे इस चुनाव में उठाते दिखेंगे। कांग्रेस ने उन्होंने बिजनौर से लोकसभा चुनाव का प्रत्याशी घोषित किया है। उनका मुकाबला भाजपा के कंवर भारतेंद्र व सपा-बसपा गठबंधन के मलूक नागर से होगा।
ये भी पढ़ें- निषाद पार्टी अध्यक्ष ने आनन-फानन में लखनऊ में सीएम योगी से की मुलाकात महेश शर्मा- केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा को गौतमबुद्धनगर से दोबारा लोकसभा चुनाव का टिकट दिया गया है। महेश शर्मा भाजपा संगठन के साथ-साथ आरएसएस के नेताओं के भी बेहद करीब हैं। विकास कार्यों के बल वे पर इस बार चुनाव में उतर रहे हैं, जहां इनकी टक्कर बसपा के सतवीर नागर व कांग्रेस के अरविंद सिंह से होगी।
इमरान मसूद- सहारनपुर से कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व विधायक इमरान मसूद का परिवार पिछले चुनाव में अलग था, लेकिन इस बार फिर एक होने से उन्हें फायदा मिलने वाला है। बीते आम चुनाव में उन्होंने प्रतिद्वंदियों को कांटे के टक्कर दी थी, लेकिन हार गए थे। इस पर कांग्रेस ने दोबारा उनपर भरोसा जताया है। मुस्लिमों में चर्चित चेहर इमरान के खिलाफ भाजपा ने राघवलखन पाल शर्मा व सपा-बसपा गठबंधन से पजलुर्रहमान को चुनावी मैदान में उतारा है।
याकूब कुरैशी- यूपी में सपा-बसपा गधबंधन से बसपा प्रत्याशी याकूब कुरैशी अपने विवादित बयानों के लिए भी काफी मशहूर है। बसपा ने उन्हें मरेठ लोकसभा चुनाव का टिकट दिय है। वे दलित-मुस्लिम वोटों में बड़ी सेंध मार सकते हैं। भाजपा से राजेंद्र अग्रवाल और कांग्रेस से हरेंद्र अग्रवाल को मेरठ से टिकट दिया गया है।
अजित सिंह- रालोद अध्यक्ष अजित सिंह सपा-बसपा से गठबंधन के बाद मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। जाटों के मसीहा कहे जाने वाले अजित सिंह के साथ यहां मुस्लिम-दलित और जाट मतदाताओं का वोट बैंक है। राजनीति उन्हें विरासत में मिली है और राजनीति के वे पुराने खिलाड़ी है।
संजीव बलियान- अजित सिंह को टक्कर देने वाले भाजपा उम्मीदवार व पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बलियान भाजपा के बड़े चेहरे हैं। संजीव बालियान ने मोदी कैबिनेट में कई जिम्मेदारियां निभाईं है। सवर्ण और अति पिछड़ी जातियों की एकजुटता उनकी ताकत है वहीं संगठन में उनकी मजबूत पकड़ है। लोगों के बीच लगातार सक्रिय रहना उन्हें पसंद है। अजित सिंह से उनका रोचक मुकाबला होने की उम्मीद है।
सत्यपाल सिंह- सत्यपाल सिंह को 2014 आम चुनाव में जीत के बाद बागपत से दोबारा उम्मीदवार बनाया गया है। लोगों के बीच वे विकास का विश्वास जगाने में कामयाग रहे हैं। प्रत्येक बिरादरी में उनकी पैठ है। मुंबई के पुलिस आयुक्त रह चुके डॉ. सत्यपाल सिंह रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं।
जयंत चौधरी- बीजेपी के डा. सत्यपाल सिंह के सामने बीएसपी, एसपी और आरएलडी गठबंधन की ओर से लोकदल के मुखिया अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी मैदान में हैं। चौधरी चरण सिंह की तीसरी पीढ़ी होने का उन्हें भावनात्मक फायदा इस चुनाव में मिल सकता है। वहीं यूपी की राजनीति में जाटों का गढ़ कही जाने वाली बागपत लोकसभा सीट पर पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह का दबदबा रहा है। यह भी जयंत के अनुरूप माहौल बना सकता है।