लखनऊ. बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान (Salman Khan) ‘ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया’ (Trigeminal neuralgia) नामक जिस अनोखी बीमारी से एक समय ग्रसित थे, उसका लखनऊ के डॉक्टर्स ने इलाज ढूंढ निकाला है। ‘ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया’ से कानपुर (Kanpur) का एक मरीज 56 साल से पीड़ित था। चेहरे और दिमाग में बिजली के झटके जैसे महसूस होते थे। सबसे खतरनाक बात यह है कि इस बीमारी के चलते मरीज को आत्महत्या (Suicide) करने की इच्छा होती है। सलमान खान के साथ भी कुछ ऐसा ही था। फिल्म ‘ट्यूबलाइट’ (Tubelight) की शूटिंग के दौरान वह इस बीमारी की चपेट में आ गए थे। हालांकि उन्हें विदेश में जाकर इसका इलाज कराना पड़ा था। लेकिन आज देश के अंदर ही इस विचित्र बीमारी का इलाज संभव है। लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्तपाल के चिकित्सकों की खोज का ही परिणाम है कि मात्र 55 मिनटों में मरीज को इस बीमारी से निजात मिल सकता है। कानपुर का मरीज इसका साक्षी है।
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कानपुर के यह मरीज छप्पन वर्षों से इस बीमारी से ग्रसित था। उन्हें प्ततिदिन दो मिनट असहनीय दर्द होता था। कई तरह की उन्होंने दवाईयां व इंजेक्शन लिए, लेकिन कोई फायदा न हुआ। आखिर में वह लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान पहुंचे, जहां एनेस्थीसिया पेन मेडिसिन विभाग के डॉक्टर्स ने उनकी जांच की। डॉक्टर्स ने तुरंत उनकी बीमारी को डिटेक्ट कर लिया। रिपोर्ट के मुताबिक, मरीज का इलाज परकुटेनियस बैलून कंप्रेशन ऑफ गैसेरियन गैंगलियोन नाम की तकनीक से किया गया है। इसमें किसी प्रकार का चीरा नहीं लगाया गया। इंजेक्शन से संबंधित नस में दवा डाली गई, जिससे नस को शून्य किया गया। इस इलाज में केवल 15 हजार रुपये का खर्चा आया।
कानपुर के यह मरीज छप्पन वर्षों से इस बीमारी से ग्रसित था। उन्हें प्ततिदिन दो मिनट असहनीय दर्द होता था। कई तरह की उन्होंने दवाईयां व इंजेक्शन लिए, लेकिन कोई फायदा न हुआ। आखिर में वह लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान पहुंचे, जहां एनेस्थीसिया पेन मेडिसिन विभाग के डॉक्टर्स ने उनकी जांच की। डॉक्टर्स ने तुरंत उनकी बीमारी को डिटेक्ट कर लिया। रिपोर्ट के मुताबिक, मरीज का इलाज परकुटेनियस बैलून कंप्रेशन ऑफ गैसेरियन गैंगलियोन नाम की तकनीक से किया गया है। इसमें किसी प्रकार का चीरा नहीं लगाया गया। इंजेक्शन से संबंधित नस में दवा डाली गई, जिससे नस को शून्य किया गया। इस इलाज में केवल 15 हजार रुपये का खर्चा आया।
ये भी पढ़ें- लोहिया अस्पताल में डॉक्टर और तीमारदारों के बीच हुई मारपीट की देखें Live video 10 से 12 लाख में एक मरीज, क्या हैं कारण-
बताया जाता है कि यह बीमारी 10 से 12 लाख लोगों में 2-3 लोगों को ही होती है। ट्राईजेमिनल न्यूरलजिया टीएन में ट्राईजेमिनल या पांचवी क्रेनियल नर्व प्रभावित होती है, जो सिर में पूरी तरह सबसे ज्यादा फैली नसें होती हैं। टीएन एक तरह का न्यूरोपैथिक दर्द होता है, जो नसों को लगी चोट या घाव से जुड़ा होता है। ट्राईजेमिनल न्यूरलजिया नाम का यह रोग उस समय हो सकता है, जब रक्त वाहिकाएं टाईजेमिनल नर्व पर दबाव डालती हैं। मल्टीपल सिरोसिस से ग्रस्त लोगों में यह बीमारी पनप सकती है। सलमान खान भी जब पहली बार अमेरिका में सर्जरी कराने गए थो, तो वह तुरंत सफल नहीं हुए थे।बाद उन्होंने भी उसी बैलून कंप्रेशन तकनीक के इस्तेमाल से इलाज करवाया था और बीमारी से निजात पा लिया था।
बताया जाता है कि यह बीमारी 10 से 12 लाख लोगों में 2-3 लोगों को ही होती है। ट्राईजेमिनल न्यूरलजिया टीएन में ट्राईजेमिनल या पांचवी क्रेनियल नर्व प्रभावित होती है, जो सिर में पूरी तरह सबसे ज्यादा फैली नसें होती हैं। टीएन एक तरह का न्यूरोपैथिक दर्द होता है, जो नसों को लगी चोट या घाव से जुड़ा होता है। ट्राईजेमिनल न्यूरलजिया नाम का यह रोग उस समय हो सकता है, जब रक्त वाहिकाएं टाईजेमिनल नर्व पर दबाव डालती हैं। मल्टीपल सिरोसिस से ग्रस्त लोगों में यह बीमारी पनप सकती है। सलमान खान भी जब पहली बार अमेरिका में सर्जरी कराने गए थो, तो वह तुरंत सफल नहीं हुए थे।बाद उन्होंने भी उसी बैलून कंप्रेशन तकनीक के इस्तेमाल से इलाज करवाया था और बीमारी से निजात पा लिया था।