क्या है LHB coach, नए साल में कैसे यात्रा हो जाएगी सुखद
रेल यात्रियों को राहत देने के लिए एलएचबी कोच (लिंके हॉफमैन बुश कोच) बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। इसमें ज्यादा स्पेस है, जिससे यात्री आराम से पैर फैलाकर सीट पर बैठ व लेट सकता है।
लखनऊ. रेल यात्रियों को राहत देने के लिए एलएचबी कोच (लिंके हॉफमैन बुश कोच) बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। इसमें ज्यादा स्पेस है, जिससे यात्री आराम से पैर फैलाकर सीट पर बैठ व लेट सकता है। दुर्घटना की स्थिति में यह कोच आसानी से पटरी से नहीं उतरते या एक के ऊपर एक नहीं चढ़ते। यूपी में गोरखपुर से चलने वाली तीन ट्रेनों के एलएचबी (LHB) रेक से चलने की बात हुई है। 25 नवंबर को प्रयागराज से नई दिल्ली को जाने वाली प्रयागराज एक्सप्रेस (Prayagraj Express) 24 एलएचबी कोच वाली देश की पहली ऐसी ट्रेन बनी, जिसकी अधिकतम रफ्तार 130 प्रति घंटा है। इससे पहले देश में अधिकतम 22 एलएचबी कोच वाली ट्रेनें ही अधिकतम 130 की रफ्तार से दौड़ रही हैं।
ये भी पढ़ें- Weather update: मौसम विभाग ने जारी किया Yellow Alert, 23 व 24 दिसंबर को होगी भीषण सर्दी नए साल पर एलएचबी रेक वाली ट्रेनों से यात्रियों को यात्रा के दौरान काफी सुविधा होगी। एलएचबी एक जर्मनी तकनीक है। इसका प्रयोग तेज गति वाली ट्रेनों में किया जाता है। एलएचबी कोच ट्रेन में हो तो इनकी गति 160 से 180 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है। एलएचबी कोच के और क्या-क्या फायदे हैं, आईये जानते हैं-
– यह कोच पारंपरिक कोच की तुलना में ढेड़ मीटर लंबे होते हैं, जिससे यात्रियों का काफी आराम होता। – एलएचबी कोच में बड़ी खिड़कियां होती हैं, सीटें आरामदायक होती हैं, बॉयो टॉयलेट्स व सामान रखने की अधिक स्पेस है, जिससे सफर और आनंददायक हो जाता है।
– इसमें एंटी टेलीस्कोपिक सिस्टम भी होता है, जिससे डिब्बे आसानी से पटरी से नहीं उतर पाते। – एलएचबी कोच के डिब्बे स्टेलनेस स्टील और एल्यूमिनियम के बने होते है। इसमें disk ब्रेक सिस्टम होता है जिससे ट्रेन को जल्दी रोका भी जा सकता है।
– यदि दुर्घटना हुई तो यह कोच पारंपरिक कोच के मुकाबले कम क्षतिग्रस्त होते हैं। इनकी सेल्फ लाइफ भी पारंपरिक कोच के मुकाबले ज्यादा होती है। – LHB कोच माइक्रोप्रोसेसर से कंट्रोल होता है। इसमें एयर कंडीश्निंग सिस्टम होता है, जो कोच के तापमान को नियंत्रित करता है। इससे ट्रे्न सुरक्षित रहती है।
– लंबे कोच होने के कारण ट्रेन की यात्री वहन क्षमता बढ़ती है। मतलब ज्यादा यात्री भी सफर कर सकते हैं।