लखनऊ

रिवाल्वर बाबू के पकड़ में आये अब तक 7 कारनामे, पूर्व वीसी का भी साइन किया था स्कैन

चारों आरोपों में ओझा से 15 पंद्रह दिन में स्पष्टीकरण माँगा गया है। ओझा पर इससे पहले भी चार फर्जीवाड़े के आरोप लगे हैं।

लखनऊAug 23, 2017 / 12:44 pm

Dikshant Sharma

LDA Babu

लखनऊ। एलडीए के निलंबित बाबू मुक्तेश्वर नाथ ओझा के तीन और फर्जीवाड़े सामने आए हैं। ओझा ने तत्कालीन उपाध्यक्ष के हस्ताक्षर को स्कैन करके फर्जी तरीके से गोमती नगर सेक्टर चार में प्रापर्टी आवंटित कर दी। अपर सचिव की जांच में कूटरचित एवं फर्जी स्कैन के आधार पर कूटरचित समायोजन और संशोधन कर आवंटन करने के आरोप ओझा पर लगाए गए हैं। इसके अलावा सेक्टर बी प्रियदर्शनी योजना के एक मामले में कोर्ट के आदेश के बाद भी कार्रवाई नहीं की गई। इससे एलडीए को अवमानना का सामना करना पड़ा। कोर्ट में वीसी की व्यक्तिगत उपस्थिति होने पर ओझा पर कार्य के प्रति उदासीनता का आरोप लगाते हुए कार्रवाई करने की संस्तुति की गई थी। इन तीन आरोपों को लेकर एमएन ओझा अनुपूरक आरोप जारी करते हुए 15 दिन में स्पष्टीकरण मांगा गया है। गोमती नगर योजना, प्रियदर्शनी योजना व बंसतकुंज योजना का काम लम्बे समय तक देखने पर एलडीए के निलंबित बाबू मुक्तेश्वर नाथ ओझा ने खूब हेराफेरी की। हाल यह है कि फर्जीवाड़े के माहिर ओझा ने मूल पत्रावलियों को ही गायब करा दिया। इससे एलडीर में दस्तावेज ही नहीं ढूढें मिल रहे हैं। ओझा को कोर्ट के आदेशों की भी परवाह नहीं थी। इसके चलते कई बार एलडीए को कोर्ट में प्रतिकूल स्थिति का सामना करना पड़ा है। ऐसे ही तीन मामलों की जांच करायी गई है।
पूर्व वीसी के साइन किये स्कैन
तीनों मामले की जांच के लिए उपाध्यक्ष प्रभु एन सिंह ने छह जुलाई को अपर सचिव अनिल भटनागर को दिए थे। 21 जुलाई को अपर सचिव ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी। इस रिपोर्ट के अनुसार गोमती नगर विस्तार योजना सेक्टर 4 में भूखंड सं या 4/556 बी आवंटी जितेंद्र कुमार, भूखंड सं या 5/546 सी, सुनील कुमार ङ्क्षसह व भूखंड सं या 4/546डी अक्षत भट्ट की पत्रावली पर तत्कालीन उपाध्याक्ष हस्ताक्षर स्कैन किए गए हैं। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि गलत काम के लिए मुक्तेश्वर नाथ ओझा कूटरचित एवं फर्जी स्कैन के आधार पर कूटरचित समायोजन और संशोधन कर आवंटन कराने के दोषी हैं। तीनों भूखंडों में कूटरचित समायोजन और संशोधन कर आवंटन कराने का आरोप मंडित करते हुए आरोप पत्र भेजा गया है। आरोप पत्र के साथ अपर सचिव की जांच आ या भी लगाई गई है। यह दूसरा अनुपूरक आरोप पत्र नजूल अधिकारी व जांच अधिकारी विश्व भूषण मिश्र की ओर से भेजा गया है।
कोर्ट के आदेश के अनुपालन की फाइल दबाए रहा
इसके अलावा एक और प्रकरण में भी आरोप लगाए गए हैं। आरोप पत्र के अनुसार सेक्टर बी प्रियदर्शनी योजना में भूखंड सं या 2/7 की आवंटी असमत परवीन ने हाईकोर्ट में वाद दाखिल किया था। इस प्रकरण में चार नवंबर 2016 को दिए गए हाईकोर्ट का आदेश आवंटी ने 5 नवंबर 2016 को एलडीए कार्यालय में रिसीव कराया था। लेकिन आदेश के अनुपालन में कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे असमत द्वारा अवमानना वाद दाखिल कर दिया गया। जिस पर उपाध्यक्ष एलडीए को व्यक्तिगत तौर पर 9 मार्च 2017 को कोर्ट में उपस्थित होना पड़ा। इस मामले में ओझा पर कार्य के प्रति उदासीनता का आरोप मंडित करते हुए कार्रवाई करने का आदेश हुआ था। लेकिन कार्रवाई ठंडे बस्ते में पड़ी रही। आरोप पत्र में कहा गया है कि कार्य में लापरवाही व उदासीनता बरतने पर कोर्ट के समक्ष प्राधिकरण की स्थिति प्रतिकूल हुई तथा विधिस मत आदेश के बाद भी आवंटी को राहत नहीं मिल सकी। तीसरे मामले में जानकीपुरम योजना सेक्टर एच में भूखंड सं या 3/486 आवंटी रश्मि राय के प्रकरण में हाईकोर्ट जनवरी 2017 में आदेश दिए थे। आदेश के अनुपालन में दिए गए प्रत्यावेदन को समय से न देकर ओझा फाइल दबाए रहा।
अब नहीं बढ़ेगी समय सीमा
चारों आरोपों में ओझा से 15 पंद्रह दिन में स्पष्टीकरण माँगा गया है। दूसरा अनूपूरक आरोप पत्र सोमवार को जारी कर दिया गया है। इसके अनुसार ओझा को 8 सितंंबर तक शासनादेश द्वारा विहित व्यवस्था के अनुसार जवाब देना है। इसके बाद समय नहीं बढ़ाए जाने की भी चेतावनी दी गई है। ओझा पर इससे पहले भी चार फर्जीवाड़े के आरोप लगे हैं।

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