लखनऊ

लाली मुर्गा मर गया पूरा गांव रोया, मालिक ने तेरहवीं में 500 को कराया भोज जानें

Strange लाली मर गया। लाली के मरने पर जहां मलिक बेहद दुखी हुआ वहीं पूरा गांव फूट-फूट कर रोया। मलिक ने लाली का अंतिम संस्कार धूमधाम से कराया। और बात यहीं खत्म नहीं हुई मलिक ने लाली की याद में सभी सिर मुंडाने के साथ अन्य कर्मकांड पूरे किए। यही नहीं लाली आत्मा को शांति मिले इसलिए तेरहवीं का भी आयोजन किया। पर आप चौंक रहे होंगे कि, आखिरकार लाली कौन है।

लखनऊJul 21, 2022 / 11:16 am

Sanjay Kumar Srivastava

लाली मुर्गा मर गया पूरा गांव रोया, मालिक ने तेरहवीं में 500 को कराया भोज जानें

लाली मर गया। लाली के मरने पर जहां मलिक बेहद दुखी हुआ वहीं पूरा गांव फूट-फूट कर रोया। मलिक ने लाली का अंतिम संस्कार धूमधाम से कराया। और बात यहीं खत्म नहीं हुई मलिक ने लाली की याद में सभी सिर मुंडाने के साथ अन्य कर्मकांड पूरे किए। यही नहीं लाली आत्मा को शांति मिले इसलिए तेरहवीं का भी आयोजन किया। पूरे गांव को पकवान खिलाए। करीब पांच ग्रामीणों ने तेरहवीं का प्रसाद और भोजन किया। पूरे इलाके में लाली की मौत की खबर चर्चा का विषय बनी रही। पर आप चौंक रहे होंगे कि, आखिरकार लाली कौन है। तो हम आपको बताते हैं कि, लाली एक मुर्गे का नाम है।
बकरी को बचाने में गई जान

प्रतापगढ़ जिला के फतनपुर थानाक्षेत्र के बेहदौल कला गांव में डॉ. शालिकराम सरोज अपना क्लीनिक चलाते हैं। घर पर उन्होंने बकरी और एक मुर्गा पाल रखा है। मुर्गे से पूरा परिवार इतना प्यार करने लगा था कि उसका नाम लाली रख दिया। 8 जुलाई को एक कुत्ते ने डॉ. शालिकराम की बकरी के बच्चे पर हमला कर दिया। यह देख लाली कुत्ते से भिड़ गया। बकरी का बच्चा तो बच गया मगर लाली खुद कुत्ते के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गया और इसके बाद 9 जुलाई शाम लाली ने दम तोड़ दिया।
पूरा परिवार दुखी

मुर्गे की मौत के बाद पूरा परिवार बहुत दुखी हुआ। मुर्गे का शव दफना दिया गया। पर अचानक दुखी डॉ. शालिकराम ने रीति-रिवाज के अनुसार, मुर्गे की तेरहवीं की घोषणा की। तो गांव के लोग चौंक गए। पूरे कर्मकांड किया गया। हलवाई ने बुधवार रात तेरहवीं का भोजन बनाया। जिसमें पूड़ी, सब्जी, दाल, चावल, सलाद, चटनी सब शामिल था। और करीब 500 लोगों ने तेरहवीं का भोजन किया। इस पूरे कार्यक्रम 40 हजार रुपए का खर्च आया था।
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हम राखी बांधते थे – अनुजा

अनुजा सरोज बताती है कि, लाली मुर्गा मेरे भाइयों जैसा था। उसकी मौत के बाद 2 दिन तक खाना नहीं बना। हम उसको रक्षाबंधन पर राखी भी बांधते थे। मुर्गे लाली के तेहरवीं में गांव के सभी लोगों को आमंत्रित किया गया था।
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हमारे परिवार के सदस्य जैसा था लाली – डॉ. शालिकराम

ग्रामीणों ने डॉ. शालिकराम सरोज के मुर्गे प्रेम की जमकर सराहना की। दुखी शालिकराम ने कहाकि, मुर्गा लाली हमारे परिवार के सदस्य जैसा था। घर की रखवाली करता था, उससे सभी को अटूट प्रेम था।

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