ये भी पढ़ें- इस राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए मायावती ने अब इस पार्टी से किया गठबंधन, 40 सीटों पर बात हुई तय आपको बता दें कि बीती शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के वकील से पूछा था- क्या भगवान राम का कोई वंशज अयोध्या या दुनिया में है? इस पर वकील ने कोई जानकारी न होने की बात कही थी। इसी के बाद ही रविवार को जयपुर राजघराने की दीयाकुमारी ने खुद को श्रीराम का वंशज बताया था।
ये भी पढ़ें- राहुल गांधी का इस्तीफा हुआ मंजूर, यूपी राज्यसभा सांसद ने बताया – इन्हें बनाया गया कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष शाही परिवार के सदस्य ने किया ट्वीट- उदयपुर के पूर्व शाही परिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ ने इस पर ट्वीट करते हुए कहा कि ये ऐतिहासिक रूप से साबित है कि मेरा परिवार श्री राम का प्रत्यक्ष वंशज है। हम राम जन्म भूमि पर किसी तरह का दावा नहीं कर रहे हैं, लेकिन मानते हैं कि अयोध्या में राम जन्म भूमि पर श्री राम का मंदिर अवश्य बनना चाहिए।
यूपी में ही हैं वंशज-
उक्त दावों को बकवास बताते हुए वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह का कहना है कि भगवान राम के सभी वंशज वहीं अयोध्या जी के आसपास रहते हैं। उनको सूर्यवंशी और रघुवंशी क्षत्रियों के नाम से आदिकाल से जाना जाता है । सूर्यवंशी क्षत्रियों का ठिकाना है अयोध्या। पड़ोस के सुल्तानपुर ज़िले में बिरसिंहपुर के आसपास रघुवंशी ठाकुरों की बड़ी आबादी है। इनकी एक शाख जौनपुर जिले के डोभी इलाके में सैकड़ों साल पहले आबाद हो गई थीं। यह सभी लोग संपन्न, शिक्षित और विद्वान क्षत्रिय हैं। सभी रघुकुल के असली वारिस हैं। यह सभी सुल्तानपुर के राजकुमार, वछगोती और रजवाड़ क्षत्रियों के रिश्तेदार होते हैं। रघुवंशी और सूर्यवंशी क्षत्रियों के अलावा जो अपने को रघुकुल का वारिस बता रहे हैं, वे बकवास कर रहे हैं।
उक्त दावों को बकवास बताते हुए वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह का कहना है कि भगवान राम के सभी वंशज वहीं अयोध्या जी के आसपास रहते हैं। उनको सूर्यवंशी और रघुवंशी क्षत्रियों के नाम से आदिकाल से जाना जाता है । सूर्यवंशी क्षत्रियों का ठिकाना है अयोध्या। पड़ोस के सुल्तानपुर ज़िले में बिरसिंहपुर के आसपास रघुवंशी ठाकुरों की बड़ी आबादी है। इनकी एक शाख जौनपुर जिले के डोभी इलाके में सैकड़ों साल पहले आबाद हो गई थीं। यह सभी लोग संपन्न, शिक्षित और विद्वान क्षत्रिय हैं। सभी रघुकुल के असली वारिस हैं। यह सभी सुल्तानपुर के राजकुमार, वछगोती और रजवाड़ क्षत्रियों के रिश्तेदार होते हैं। रघुवंशी और सूर्यवंशी क्षत्रियों के अलावा जो अपने को रघुकुल का वारिस बता रहे हैं, वे बकवास कर रहे हैं।