लखनऊ

UPSC क्लीयर करने के बाद कैसे तय होती है IAS-IPS रैंक? किसे मिलती है कौन सी जिम्मेदारी, जानें सबकुछ

UPSC में 24 सर्विसेसज होती हैं, जिसके लिए कैंडीडेट का चयन इस परीक्षा के आधार पर होता है। चयनित कैंडीडेट को प्रीलिम्स एग्जाम देना होता है। पेपर के नंबर के आधार पर कटऑफ तैयार किया जाता है और कटऑफ के अनुसार कैंडिडेट को मेंस एग्जाम के लिए चुना जाता है।

लखनऊMay 04, 2022 / 04:34 pm

Jyoti Singh

ये तो आपको पता ही होगा कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा को भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। देशभर से हर साल लाखों की संख्या में छात्र UPSC की परीक्षा देकर अपनी किस्मत को आजमाते हैं। हालांकि बहुत कम ही छात्र हैं, जिन्हें UPSC में सफलता मिलती है। जबकि कुछ लोगों को निराश भी होना पड़ता है। वहीं जो छात्र UPSC एग्जाम को क्लीयर कर लेते हैं, उन्हें आईएएस (IAS), आईपीएस (IPS), आईईएस (IES) या आईएफएस (IFS) अधिकारी का पद मिलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एग्जाम पास करने के बाद किस तरह आईएएस, आईपीएस या आईएफएस की रैंक निर्धारित होती है? इन पदों के अधिकारियों की क्या भूमिकाएं होती हैं और वे क्या काम करते हैं? अगर नहीं पता तो आज हम आपको बताते हैं।
ग्रुप ए और ग्रुप बी सर्विसेज

दरअसल, UPSC में 24 सर्विसेसज होती हैं, जिसके लिए कैंडीडेट का चयन इस परीक्षा के आधार पर होता है। इसके बाद इन्हें दो वर्गों में बांटा जाता है, पहली ऑल इंडिया सर्विसेज और दूसरी सेंट्रल सर्विसेज। इनमें ग्रुप ए और ग्रुप बी सर्विसेज होती हैं। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ऑल इंडिया सर्विसेज के तहत IAS (भारतीय प्रशासनिक सेवा) और IPS (भारतीय पुलिस सेवा) के अधिकारियों का चयन होता है। इसके अलावा कैंडीडेट को राज्यों और शासित प्रदेशों का कैडर भी दिया जाता है।
केंद्रीय सेवाओं में इन पदों पर होता है चयन

आपको बता दें कि ग्रुप ए और ग्रुप बी केंद्रीय सेवाओं की सर्विसेस हैं। ग्रुप ए सर्विसेज में भारतीय विदेश सेवा (IFS), इंडियन सिविल एकाउंट्स सर्विस, इंडियन रेवेन्यू सर्विस (IRS), इंडियन रेलवे सर्विस के साथ इंडियन इनफार्मेशन सर्विस (IIS) जैसी सर्विसेज के लिए अधिकारियों का चयन किया जाता है। जबकि ग्रुप बी में आर्म्ड फोर्सेज हेडक्वार्टर्स सिविल सर्विस, पुडुचेरी सिविल सर्विस, दिल्ली और अंडमान निकोबार आइलैंड सिविल के साथ पुलिस सर्विस जैसी सर्विस भी शामिल हैं।
पहले प्रीलिम्स फिर मेंस एग्जाम

जो छात्र UPSC क्लीयर कर लेते हैं, उन्हें प्रीलिम्स एग्जाम पास करना होता है। इसके लिए ग्रेजुएट होना जरूरी है। दो-दो घंटे के दो पेपर होते हैं। दूसरा पेपर सीसैट क्वालीफाइंग होता है और इसमें पास होने के लिए 33 फीसदी नंबर लाना जरूरी है। वहीं पहले पेपर के नंबर के आधार पर कटऑफ तैयार किया जाता है और कटऑफ के अनुसार कैंडिडेट को मेंस एग्जाम के लिए चुना जाता है। मेंस एग्जाम की मेरिट लिस्ट में क्वालीफाइंग को छोड़कर सभी पेपर्स के नंबर शामिल किए जाते हैं।
कैटेगिरी के आधार पर तय होती है रैंकिंग

पोस्ट मेंस रिजल्ट आने के बाद कैंडिडेट को एक डिटेल एप्लीकेशन फॉर्म भरना पड़ता है, जिसके आधार पर पर्सनैलिटी टेस्ट होता है। इंटरव्यू में मिले नंबर को जोड़कर मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है इसी के आधार पर ऑल इंडिय रैंकिंग तय होती है। हालांकि इसके लिए अलग-अलग कैटेगरी (जनरल, SC, ST, OBC, EWS) की रैंकिंग तैयार की जाती है और रैंकिंग के आधार पर आईएएस, आईपीएस या आईएफएस रैंक दी जाती है। टॉप की रैंक वालों को आईएएस मिलता है, लेकिन कई बार टॉप रैंक पाने वालों का प्रेफरेंस IPS या IRS होता है तो नीचले रैंक वालों को भी IAS की पोस्ट मिल सकती है। इसके बाद के रैंक वालों को आईपीएस और आईएफएस पोस्ट मिलती है।

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