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लखनऊ

राजधानी से लेकर गरीब रथ तक, जाने इंडियन रेलवे कैसे तय करती है ट्रेनों के नाम, किसकी क्या रही विशेषता

इंडियन रेलवे ने ट्रेनों का नामकरण उनकी खासियत के हिसाब से किया है। जैसे अगर बात करे राजधानी की तो राजधानी को शुरू में एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश की राजधानी से जोड़ने के लिए तैयार किया गया था।

लखनऊMay 18, 2022 / 01:58 pm

Jyoti Singh

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ट्रेन में सफर हम सब ने किया है। शायद ही ऐसा कोई हो जो ट्रेन में न बैठा हो। हर दिन बड़ी संख्या में लोग ट्रेन से सफर करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस ट्रेन से आप सफर कर रहे हैं, उसका नामकरण कैसे हुआ होगा? अगर आपने दुरंतो से सफर किया है या राजधानी से तो क्यों दुरंतो ट्रेन का रंग हरा और पीला या राजधानी का रंग लाल? ऐसे सवाल क्या कभी आपके मन में आए हैं? अगर हां तो आज हम आपको इन सभी प्रश्नों के जवाब देंगे। तो आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ रोचक काम की जानकारी के बारे में…
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राजधानी सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन

आपको बता दें कि इंडियन रेलवे ने ट्रेनों का नामकरण उनकी खासियत के हिसाब से किया है। जैसे अगर बात करे राजधानी की तो ये एक सुपर फास्ट ट्रेन है। इसकी रफ्तार को समय-समय पर अपग्रेड किया जाता रहा है। इसकी गति 140 km प्रति घंटे के हिसाब से है। ये भारत की सबसे विशिष्ट ट्रेनों में से एक है, ट्रेनों की आवाजाही की स्थिति में सबसे पहले वरीयता इसको ही दी जाती है। वहीं इसके नाम की बात करें तो राजधानी को शुरू में एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश की राजधानी से जोड़ने के लिए तैयार किया गया था। देश की राजधानी दिल्ली समेत प्रदेशों की राजधानी के बीच तेज गति की ट्रेनों को चलाया जाए, इसके लिए इस ट्रेन की शुरुआत की गई थी। यही कारण है कि इसका नाम राजधानी सुपर फास्ट ट्रेन है। इस ट्रेन का टिकट सबसे महंगा होता है। इसका एसी टिकट प्लेन के इकोनॉमी क्लास के बराबर होता है।
शताब्दी को क्यों कहा जाता है शताब्दी

अब बात करते हैं शताब्दी की। राजधानी के बाद इस ट्रेन की ही प्राथमिकता आती है। शताब्दी ट्रेन भारत की सबसे ज्यादा प्रयोग में आने वाली ट्रेनों में से एक है। इसका नाम 1989 में रखा गया था जो कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की 100वीं जन्म तिथि है। इस ट्रेन को 400 से 800 km के सफर में जायदा वरीयता दी जाती है। वहीं बात करें इसकी रफ्तार की तो ये बेहद तेज गति से चलने वाली ट्रेन है। शताब्दी 160 km प्रति घंटे की रफ्तार से पटरी पर दौड़ती है।
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गरीब रथ में क्या सुविधाएं मिलती हैं

इसके बाद नंबर आता है गरीब रथ था। इस गाड़ी के कोच पूरी तरह एसी हैं और टिकट के पैसे बाकी ट्रेनों की तुलना में दो तिहाई हैं। इसका नाम गरीबों के रथ को संबोधित करता है। दरअसल यह ट्रेन उनके लिए है जो एसी जैसी सुविधा का लाभ उठाने में असमर्थ हैं। गरीब रथ सुपर फास्ट ट्रेन है जिसकी रफ्तार 130 किमी प्रतिघंटा और औसतन 85‍ किमी प्रतिघंटा है। वहीं टिकट की कीमत बाकी ट्रेनों की तुलना में दो तिहाई हैं।
दुरंतो सुपर फास्ट ट्रेन

अब बात करते हैं दुरंतो सुपर फास्ट ट्रेन की। ये वह ट्रेन है जिसमें सबसे कम स्टॉपेज होते हैं और बेहद लंबी दूरी तय करती है। दुरंतो का नाम बंगाली शब्द निर्बाद यानी restless से पड़ा। दुरंतो को कई मायने में राजधानी से तेज माना जाता है। इसकी रफ्तार करीब 140 km के आसपास रहती है, ये सबसे ज्यादा संख्या में चलती है, यानी राजधानी और शताब्दी से भी ज्यादा। आपको बता दें कि दुरंतो में LHB स्लीपर कोच होते हैं जो कि आम ट्रेन से ऊंचे होते हैं। ये कोच इसको गति प्रदान करते हैं। ये रोजाना केवल विशेष परिस्थिति में चलाई जा सकती है, वरना इन ट्रेनों को हफ्ते में 2 से 3 दिन के हिसाब से चलाया जाता है।

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