लखनऊ

केजीएमयू की इस महिला डॉक्टर ने की ब्लड कैंसर पर बड़ी रिसर्च, होंगे ये अहम फायदे

केजीएमयू में ब्लड कैंसर को लेकर एक ऐसी रिसर्च की गई है, जिसमें जिम्मेदारी जीन का पता लगा उसे ठीक करने का रास्ता खोजा गया

लखनऊOct 14, 2018 / 01:06 pm

Mahendra Pratap

केजीएमयू की इस डॉक्टर ने की ब्लड कैंसर पर बड़ी रिसर्च, अमेरिकन एसोसिएशन फॉर कैंसर रिसर्च में मिली सराहना

लखनऊ. राजधानी लखनऊ के केजीएमयू के एडवांस रिसर्च सेंटर में ब्लड कैंसर को लेकर एक ऐसी रिसर्च की गई है, जिसमें जिम्मेदारी जीन का पता लगाकर उसे ठीक करने का रास्ता खोजा गया है। साथी ही इस बात पर भी रिसर्च की गई कि जो ब्लड कैंसर दवा से ठीक नहीं हो रहा, उसके लिए कौन सा जीन जिम्मेदार है। इस रिसर्च को अमेरिकन एसोसिएशन फॉर कैंसर रिसर्च 2018 की मीटिंग में काफी सराहना मिली। यह रिसर्च की है मॉलिक्यूलर बायोलॉजी यूनिट सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च सेंटर की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीतू सिंह ने।
इस शानदार रिसर्च के लिए डॉ. नीतू सिंह को एफिमेट्रिक्स ट्यूमर प्रोफाइलिंग अवार्ड से सम्मानित किया गया है। खास बात यह है कि यह अवार्ड अभी तक केवल तीन लोगों को मिला है, जिसमें केजीएमयू की डॉ. नीतू सिंह शामिल हैं।
दो फ्यूजन के मिलने से होता है ब्लड कैंसर

डॉ. नीतू सिंह ने बताया कि रिसर्च करने के लिए यूएसए से ग्रांट मिली थी। रिसर्च में उन्होंने करीब 64 ब्लड कैंसर के मरीजों का अलग-अलग सैम्पल लिया। इन सभी सैम्पल को इकट्ठा करने का बाद डॉक्टर ने रिसर्च शुरू की। रिसर्च में पाया कि बीसीआर और एबीएल नाम के दो फ्यूजन होते हैं, जो रक्त में अलग-अलग होते हैं। लेकिन जब ये मिलते हैं, जो ब्लड कैंसर होता है। डॉ. नीतू सिंह ने बताया कि बीसीआर और एबीएल का खून में लेवल देखने के बाद ईमैटिनिब दवाई मरीज को दी जाती है। इसके बाद ये दवाई बीसीआर और एबीएल फ्यूजन को अलग कर देती है, जिससे कि कैंसर से निजात मिलती है। लेकिन कुछ ऐसे पेशंट्स भी होते हैं, जिनमें इस दवा को लेने के बाद भी कैंसर ठीक नहीं होता। इसे लेकर जब आगे रिसर्च की गई, तो पता लगा कि इसके लिए कई नए जीन ऐसे मिले हैं, जो ब्लड कैंसर के लिए जिम्मेदार हैं।
इस तरह फैलता है ब्लड कैंसर

डॉ. नीतू ने बताया कि कैंसर में खून की कोशिकाओं का कैंसर आम बात है। खून में कैंसर की कोशिकाएं असामान्य रफ्तार से अपनी संख्या बढ़ाने लगती है। इससे इनके आकार में भी बदलाव आता है। खून के कैंसर में बार-बार गला खराब होने की भी खिकायत होती है, जो कि आम बात है।

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