बता दें कि दुर्लभ किस्म की यह बीमारी कोरोना से उबरे मरीजों में तेजी से पनप रही है। इससे पहले ब्लैक फंगस (Black Fungus) से संक्रमण पहली लहर में भी कुछ मरीजों को हो चुका है। केजीएमयू में इन मरीजों का उपचार हुआ था और वह ठीक होकर घर गए। इस दौरान एक मरीज की सर्जरी भी की गई थी। ऐसे में केजीएमयू की टीम इस संक्रमण को लेकर पहले से मानसिक तौर पर तैयार थी। फिलहाल अब वार्ड में 4 मरीज भर्ती हैं और उनका उपचार किया जा रहा है। पहली लहर के दौरान मरीजों की संख्या काफी कम थी। इस वजह से गंभीर मरीज भी कम ही थे।
ऐसी स्थिति में गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ने पर केजीएमयू प्रशासन इस बात से आश्वस्त था कि इस बार भी म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण के मरीज मिलेंगे। यही वजह है कि आईसीयू में भर्ती होने वाले हर मरीज में इस लक्षण को लेकर सावधानी बरती जा रही थी। आईसीयू में ड्यूटी करने वाले चिकित्सकों को भी इससे वाकिफ कराया गया था। कैंसर के मरीजों, हाई लेवल शुगर के मरीजों को लेकर पहले से ही सावधानी बरती जाती रही। यही वजह है कि लक्षण दिखते ही इन मरीजों को अलग कर लिया गया।
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इन मरीजों में होता है संक्रमण का ज्यादा खतरा
केजीएमयू के चिकित्सा अधीक्षक और संक्रामक रोग यूनिट के प्रभारी डॉ डी हिमांशु ने बताया कि म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण को लेकर पहले से ही सतर्कता थी। यह मानकर चला जा रहा था कि किसी न किसी मरीज में यह संक्रमण पाया जा सकता है। इसे लेकर पूरी तैयारी की गई थी। इस समय चार मरीज इस संक्रमण की चपेट में आकर भर्ती हैं। जिनका इलाज किया जा रहा है। केजीएमयू के चिकित्सा अधीक्षक डॉ डी हिमांशु का कहना है कि जिन लोगों की इम्यूनिटी काफी कमजोर हो जाती है अथवा जिनका शुगर लेवल काफी हाई होता है उनमें म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे में संक्रमण रोकने के लिए दवाएं दी जाती हैं। इसमें कई बार हड्डियां गलने लगती हैं। ऐसे में सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है।