लखनऊ

कानपुर: देश की पहली ग्रीन कैंटीन में कॉलेज के छात्र खाएंगे खाना, जल्द खुलेंगे ग्रीन रेस्तरां

Green Food Canteen: कानपुर के राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में छात्र-छात्राओं व शिक्षकों के लिए देश की पहली ग्रीन कैंटीन तैयार हो रही है। इसमें इकोफ्रेंडली बर्तन होने के साथ साथ खोई व अन्य प्राकृतिक पदार्थों से निर्मित बर्तन होंगे। इसी पर आधारित रेस्तरां भी चलेंगे।
 

लखनऊApr 03, 2022 / 05:08 am

Snigdha Singh

Kanpur Green Canteen Ready For the Ecofriendly Environment

देश की पहली ग्रीन कैंटीन राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में बनकर तैयार है। कैंटीन में मौजूद सभी बर्तन और सामग्रियां पूरी तरह बॉयोडिग्रेडेबल हैं। कैंटीन में प्रयुक्त हो रहीं प्लेट से लेकर चम्मच और गिलास तक सभी गन्ने की खोई से तैयार की गई हैं। संस्थान का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता और बॉयोडिग्रेडेबल क्रॉकरी को बढ़ावा देना है। इसी पर आधारित संस्थान और शहर के रेस्तरां संचालक भी एक दूसरे के सहयोग से पर्यावरण के बचाव के लिए ग्रीन रेस्तरां की शुरुआत करेंगे।
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में बनी ग्रीन कैंटीन का शुक्रवार को निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने शुभारंभ किया। सुबह से लेकर शाम तक कैंटीन में आ रहे छात्र-छात्राएं, अधिकारी, कर्मचारी व शिक्षक खाने से अधिक क्रॉकरी की तारीफ करते नजर आए। प्रो. मोहन ने बताया कि ये क्रॉकरी प्लास्टिक से अधिक सुंदर, थर्माकोल से अधिक मजबूत और पूरी तरह हाइजीनिक हैं। इस क्रॉकरी में गर्म या तरल खाना किसी तरह का रिएक्शन नहीं करता है। पेय पदार्थों के लिए मिट्टी का कुल्हड़ प्रयोग किया जाएगा।
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45 दिन में हो जाएगा बॉयोडिग्रेडबल

प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि गन्ने की खोई से तैयार ये क्रॉकरी पूरी तरह बॉयोडिग्रेडेबल है। अगर इसे फेंक दिया जाए तो यह मिट्टी में 45 दिन में पूरी तरह खत्म हो जाएगी और खाद के रूप में काम करेगी। उन्होंने कहा कि इस क्रॉकरी में कुछ और प्रयोग किए जा रहे हैं, जिससे यह मिट्टी में न सिर्फ बॉयोडिग्रेड हो बल्कि वहां एक पौधा भी तैयार हो।
चीनी मिल व रेस्टोरेंट से करेंगे वार्ता

प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए चीनी मिल व रेस्टोरेंट संग वार्ता कर एक पहल करने का प्रयास होगा। चीनी मिलें गन्ने की खोई से क्रॉकरी तैयार करें और रेस्टोरेंट संचालक प्लास्टिक की प्लेटों के बजाए इसका उपयोग करें। विदेशों में इस तरह की क्रॉकरी की मांग बढ़ रही है।

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