ये भी पढ़ें- Arms License पाने की पूरी प्रक्रिया, जानें एक क्लिक पर सीतापुर स्थित यूपी पुलिस के आयुध भंडार प्रभारी एएसपी अजीजुल हक ने बताया कि रविवार को कई आर्म्स मोहर्रिर की टीम कानपुर की स्माल आऱ्म्स फैक्ट्री में भेजी गई थी। टीम ने इसका टेक्निकल परीक्षण भी किया। साथ ही फायरिंग टेस्ट भी किया। यह सभी मानकों पर खरी उतरी, जिसके बाद इसकी पहली खेप को सीतापुर भेजा गया। पुलिस मुख्यालय से जैसे ही निर्देश मिलेंगे, इससे अन्य जिलों में भी भेजा जाना शुरू कर दिया जाएगा।डीआरडीओ के आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान पुणे में इसे डिजाइन किया गया, तो कानपुर की स्माल आर्म्स फैक्ट्री में आयुध निर्माणी बोर्ड जेवीपीसी (सब मशीनगन) बनाई गई है।
ये भी पढ़ें- शस्त्र लाइसेंस कैसे मिलेगा, जानें नियम व आवेदन की पूरी प्रक्रिया यह पूर्ण रूप से स्वदेशी है। कारबाइन का नाम मार्क अल्फा जेवीपीसी रखा गया है। इसकी खास बात है कि यह कारबाइन फायरिंग के समय न ही फंसती है व न ही रुकती है। यह आधुनिकीकरण की दिशा में पुलिस के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इसकी पहले मॉडल को पैरा मिलिट्री फोर्स ने खूब उपयुक्त माना था। सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, बीएसएफ व आईटीबीपी अब अपने जवानों को यहीं नई जेवीपीसी से लैस कर रहा है। नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ पुलिस को भी यह मशीनगन दी जा रही है।
यह है खासियतें-
– यह बुलेट प्रूफ लक्ष्य व स्टील को भी भेदने में सक्षम है।
– बिना मैगजीन के इसका वजन केवल तीन किग्रा है।
– कारबाइन से 200 मीटर तक यह सटीक निशाना लगा सकती है।
– कारबाइन में लोड होती 30 कारतूसों की मैगजीन।
– इसका फायरिंग मोड मैनुअल व आटोमैटिक है।
– यह एक बार में सबसे अधिक फायर करने वाली कारबाइन
– स्प्रिंग मैकेनिज्म सिस्टम के चलते कारतूसों की बेल्ट से एक मिनट में 800 फायर मुमकिन है।
– गैस ऑपरेटेड होने से फायरिंग के बाद काला नहीं पड़ता बैरल
– नाइट विजन कैमरे से रात में भी सटीक निशाना लगाने से सक्षम