नदीम जावेद कभी छात्रों की राजनीति करते थे। कभी छात्रों को मंच देने की इन्हें धुन सवार थी। इन्होंने पूरे भारत के छात्रों की राजनीति की। लेकिन 2012 में इन्होंने छात्र राजनीति से परे होते हुए यूपी की बड़ी राजनीति में प्रवेश किया। जौनपुर सदर सीट से कांग्रेस से विधायक बने। लेकिन विधायक बनने की राह आसान नहीं थी। इन्हें 2012 के विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर मिली। लगभग 1200 मतों से विजय मिली थी। इस समय पूर्वी उत्तर प्रदेश से कांग्रेस में इनकी हनक बढ़ी है। एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुये इन्होंने बड़े नेता की छवि बनाई। इन्होंने जब जौनपुर सदर से चुनाव जीता तो उस समय इन्हें बसपा और सपा की लड़ाई में जीत हासिल हुई। जौनपुर जिले के पारा कमाल शाहगंज जौनपुर के रहने वाले 34 वर्षीय नदीम जावेद की बड़ी धमक हैं। लेकिन इन चार सालों में नदीम की छवि कांग्रेस पार्टी में बड़े नेता के रुप में उभरी है। इनके पिता भी महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रहे लेकिन इनका समय यूपी में ज्यादा बीता है। नदीम की शुरुआती पढ़ाई लिखाई इनके गांव शाहगंज में हुई। उसके बाद इन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी की। जावेद के साथी और जौनपुर के पूर्व अध्यक्ष यूथ कांग्रेस संजय तिवारी बताते है कि पूरे देश के युवाओं को एक मंच देने के लिए इन्होंने राजनीति में प्रवेश किया था। जिसमें इन्हें सफलता भी मिली। नदीम को राहुल गांधी टीम का माना जाता है। जिससे इन्होंने विधायक रहते हमेशा केन्द्र की राजनीति में ज्यादा रुचि दिखाई। पिछले दिनों जौनपुर में अमित शाह के आने का विरोध किया। नोटबंदी पर खुद लाइन में लगकर पैसे निकाले। 2017 के विधान सभा चुनाव में भी ये मैदान में हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में जौनपुर से कांग्रेस पार्टी से इनका नाम आया था लेकिन भोजपुरी अभिनेता रविकिशन ने चुनाव लड़ा। अभी भी छात्रों को एकजुट करने में ये सफल रहते है। जिसका नतीजा रहता है कि इनकी रैली में यूथ की भागीदारी अधिक रहती है।
खास बातें
जौनपुर सीट पर 25 साल बाद कांग्रेस को मिली जीत
एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष
कांग्रेस के मीडिया पैनेलिस्ट
जौनपुर सदर से विधायक
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