आखिर चला पता बोली रिजवाना
आखिरकार सच्चाई का पता चला और महिला 40 वर्षीय रिजवाना है, जो कोई फूड डिलीवरी एजेंट नहीं है। बल्कि घरेलू सहायिका का काम करती है। रिजवाना ने कहा, “मैं सुबह और शाम लोगों के घरों में काम करती हूं। इससे 1,500 रुपये मिल जाते हैं। मैं फेरीवाले के रूप में भी काम करती हूं। दोपहर में बाजार में छोटे व्यवसायों और स्टालों पर डिस्पोजेबल ग्लास और कपड़े बेचती हूं। मुझे प्रति पैकेट 2 रुपये मिलते हैं।”
आखिरकार सच्चाई का पता चला और महिला 40 वर्षीय रिजवाना है, जो कोई फूड डिलीवरी एजेंट नहीं है। बल्कि घरेलू सहायिका का काम करती है। रिजवाना ने कहा, “मैं सुबह और शाम लोगों के घरों में काम करती हूं। इससे 1,500 रुपये मिल जाते हैं। मैं फेरीवाले के रूप में भी काम करती हूं। दोपहर में बाजार में छोटे व्यवसायों और स्टालों पर डिस्पोजेबल ग्लास और कपड़े बेचती हूं। मुझे प्रति पैकेट 2 रुपये मिलते हैं।”
उन्होंने कहा, “कुल मिलाकर मैं हर महीने लगभग 5,000 रुपये से 6,000 रुपये कमाती हूं।” 23 साल पहले बिना बताए पति चला गया
रिजवाना चार बच्चों की मां हैं। उनके बच्चों में 22 साल के लुबना, 19 साल के बुशरा, सात साल के नशरा और सबसे छोटा बेटा मोहम्मद यशी।
लुबना शादीशुदा हैं और पास में ही अपनी ससुराल में रहती हैं। बाकी बच्चे रिजवाना के साथ जनता नगर कॉलोनी के एक कमरे में रहते हैं। उसके पति ने 23 साल पहले ही घर छोड़ दिया था।
स्विगी बैग की रिजवाना ने बताई कहानी
अपने स्विगी बैग के बारे में पूछे जाने पर रिजवाना ने कहा, “मुझे डिस्पोजेबल ग्लास और कप रखने के लिए एक मजबूत बैग की जरूरत थी। इसलिए मैंने इसे डालीगंज पुल पर बेचने वाले एक व्यक्ति से 50 रुपये में खरीदा। तब से मैं अपना सामान ले जा रही हूं। मैं स्विगी के लिए काम नहीं करती। मैं अपना सारा सामान इसी बैग में लेकर काम के लिए बाजार जाती हूं। मैं हर दिन लगभग 20 से 25 किलोमीटर की दूरी तय करती हूं।”
रिजवाना चार बच्चों की मां हैं। उनके बच्चों में 22 साल के लुबना, 19 साल के बुशरा, सात साल के नशरा और सबसे छोटा बेटा मोहम्मद यशी।
लुबना शादीशुदा हैं और पास में ही अपनी ससुराल में रहती हैं। बाकी बच्चे रिजवाना के साथ जनता नगर कॉलोनी के एक कमरे में रहते हैं। उसके पति ने 23 साल पहले ही घर छोड़ दिया था।
स्विगी बैग की रिजवाना ने बताई कहानी
अपने स्विगी बैग के बारे में पूछे जाने पर रिजवाना ने कहा, “मुझे डिस्पोजेबल ग्लास और कप रखने के लिए एक मजबूत बैग की जरूरत थी। इसलिए मैंने इसे डालीगंज पुल पर बेचने वाले एक व्यक्ति से 50 रुपये में खरीदा। तब से मैं अपना सामान ले जा रही हूं। मैं स्विगी के लिए काम नहीं करती। मैं अपना सारा सामान इसी बैग में लेकर काम के लिए बाजार जाती हूं। मैं हर दिन लगभग 20 से 25 किलोमीटर की दूरी तय करती हूं।”
सोशल मीडिया पर दुकानदार ने किया वायरल
सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीर वायरल होने का जिक्र करते हुए रिजवाना ने कहा एक दुकानदार ने मुझे तस्वीर दिखाई और बताया, “यह वायरल हो गया है। इसके बाद एक व्यक्ति मुझसे मिलने आया और मेरे बैंक विवरण मांगे। मुझे कुछ अन्य लोगों से भी मदद मिली है और ऐसा लगता है कि मेरा जीवन बेहतर के लिए बदल रहा है। रिजवाना ने कहा,लोगों ने मुझे स्विगी के बारे में बताया है और मैं नौकरी करना चाहूंगी, लेकिन समस्या यह है कि मेरे पास परिवहन का कोई साधन नहीं है।”
सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीर वायरल होने का जिक्र करते हुए रिजवाना ने कहा एक दुकानदार ने मुझे तस्वीर दिखाई और बताया, “यह वायरल हो गया है। इसके बाद एक व्यक्ति मुझसे मिलने आया और मेरे बैंक विवरण मांगे। मुझे कुछ अन्य लोगों से भी मदद मिली है और ऐसा लगता है कि मेरा जीवन बेहतर के लिए बदल रहा है। रिजवाना ने कहा,लोगों ने मुझे स्विगी के बारे में बताया है और मैं नौकरी करना चाहूंगी, लेकिन समस्या यह है कि मेरे पास परिवहन का कोई साधन नहीं है।”
बुर्के में देखकर लोग उड़ाते हैं मजाक, लड़के करते कमेंट
रिजवाना कहती हैं, “अक्सर ऐसा होता है कि लोग मुझे नकाब में देखकर मजाक उड़ाते हैं। कई राह चलते लड़के फब्तियां भी कसते हैं, लेकिन मैं सिर्फ अपने काम पर ध्यान देती हूं। शुरुआत में मुझे थोड़ा बुरा लगा था लेकिन अब इस सब की आदत सी हो गई है।”
रिजवाना कहती हैं, “अक्सर ऐसा होता है कि लोग मुझे नकाब में देखकर मजाक उड़ाते हैं। कई राह चलते लड़के फब्तियां भी कसते हैं, लेकिन मैं सिर्फ अपने काम पर ध्यान देती हूं। शुरुआत में मुझे थोड़ा बुरा लगा था लेकिन अब इस सब की आदत सी हो गई है।”